अफवाहों का शिकार जिम्मेदार मीडिया भी

बीते गुरुवार को वेबसाइट मीडिया ने प्रसारित की यूपी में 15 फरवरी तक शैक्षणिक संस्थानों के बन्द होने की फर्जी खबर
काफी पुराने व विश्वनीयता कहे जाने वाले मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने भी इस खबर को चलाया

बीते गुरुवार सोशल मीडिया पर एक फर्जी खबर खूब वायरल हुई, जिसमे कहा गया कि यूपी में बढ़ते कोरोना केसेस को देखते हुए यहां के अतिरिक्त अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को 15 फरवरी तक बन्द कर दिया है, इस दरम्यान ऑनलाईन क्लासेस जारी रहेगी।

वैसे इस खबर का शिकार वेबसाइट मीडिया भी हो गयी। तमाम बड़े-बड़े वेबसाइट मीडिया के प्लेटफॉर्म्स पर यह खबर खूब वायरल होने लगी कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश में 15 फरवरी तक बन्द रहेंगे स्कूल-कॉलेजेस।

वैसे यह पहली दफा नहीं है कि सोशल मीडिया के जरिये कोई खबर जिसकी विश्वसनीयता शून्य या बेहद कम रहती है, उसको मीडिया में भी कवरेज मिलने लगे। परन्तु मीडिया प्लेटफॉर्म्स उस खबर की पुष्टि नहीं करते, उन्हें सिर्फ सूत्रों के अनुसार ही बताते हैं। लेकिन इस बार तो तमाम बड़े मीडिया संस्थानों ने इस खबर को ऐसे पेश किया जैसे यूपी में शैक्षणिक संस्थानों को बन्द करने का आदेश स्वयं मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने दिया हो।

लंबे समय से एक जिम्मेदार मीडिया संस्थानों की तरह कार्य कर रहे तमाम मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की अफवाह का प्रसारित होना शोभा नहीं देता, इससे इन संस्थानों की सोशल मीडिया जैसे कम विश्वसनीय प्लेटफॉर्म्स से विभिन्नता नहीं रह जायेगी।

देश मे संचालित तमाम पत्रकारिता से जुड़े संस्थानों, प्लेटफॉर्म्स, आदि का यह कर्तव्य होता है कि वे लोगों तक सही जानकारियां पहुंचाएं, क्योंकि इन मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्रसारित हिने वालीं खबरें बहुत तेजी से लोगों तक पहुंचती हैं।

हो सकता है कि कुछ बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म्स या सोशल मीडिया साइट्स की यूपी में 15 फरवरी तक शैक्षणिक संस्थानों के बंदी की खबर को अपनी वेबसाइट में चलाने के लिए व पाठक-संख्या पाने के लिए जल्दबाजी में कुछ अन्य समकक्ष या छोटे प्लेटफॉर्म्स ने इस खबर को प्रसारित कर दिया हो।

लेकिन इन सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पता होना चाहिए था कि यूपी में कोरोना संक्रमण से बचाव सम्बंधित तमाम प्रोटोकॉल्स/आदेश/गाइडलाइंस आदि खुद यहां के सीएम योगी आदित्यनाथ उस आदेश की आखिरी तिथियों में अपनी टीम के साथ बैठक करके जारी/विस्तारित आदि करते हैं। जैसे वर्तमान में स्कूल-कॉलेजेस की बंदी-तिथि को विस्तारित या दुबारा खोलने सम्बन्धी आदेश-निर्देश तभी जारी होता है जब योगी अपनी टीम 9 के साथ बैठक के दौरान राज्य में कोरोना-केसेस के संक्रमण की समीक्षा करते हैं।

ये बात सच है कि आज की आधुनिक मीडिया में सोशल मीडिया का हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया है, यहां से किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रसारित होने वालीं खबरें छुट्टा पशु की तरह कब, कहां व कितनी गति से चली जाए, ये किसी को नहीं पता। जिस पर भारत सरकार भी अंकुश नहीं लगा पा रही है। लेकिन जिम्मेदारियों से युक्त बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म्स तो पत्रकारों से लैस हैं, इसलिए उन्हें तो विश्वनीयता का ध्यान रखना चाहिए। हैरानी की बात तो ये है कि मुख्य सचिव के खबर को खंडित करने के बाद भी कुछ वेबसाइट्स पर यह फर्जी खबर चल रही है। जिन्हें भूल सुधारकर हटा देना चाहिये।

बहरहाल गुरुवार शाम तक जब यह खबर किसी चट्टान की तरह मजबूत होने लगी तो यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को दूरभाष के माध्यम से इस फर्जी ख़बर का खंडन करना पड़ा, उन्होने कहा कि योगी की माह के आखिर में समीक्षा-बैठक के बाद ही शैक्षणिक संस्थानों की बंदी-विस्तारण या दुबारा खुलने सम्बंधित कोई निर्णय हो सकता है।

Posted On:Friday, January 28, 2022


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