संचार साथी ऐप: सुरक्षा या निगरानी? प्राइवेसी पर बढ़ी बहस, सरकार और विपक्ष आमने-सामने

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Posted On:Tuesday, December 2, 2025

मुंबई, 02 दिसम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। हर रोज़ हम अपने फोन पर भरोसा करते हैं—बैंक का OTP आए, बच्चों का मैसेज आए, फोटो खींचें, दोस्तों से बात करें… ये सब हमें सुरक्षित और निजी लगता है। लेकिन सोचिए, अगर उसी फोन में ऐसा ऐप मौजूद हो जो बिना आपकी मर्जी के आपकी लोकेशन देख सके, आपकी कॉल हिस्ट्री पर नज़र रख सके या आपके मैसेज तक पहुंच जाए—तो कैसा महसूस होगा? संचार साथी ऐप को लेकर लोगों में ठीक ऐसी ही बेचैनी दिखाई दे रही है। सरकार ने निर्देश दिया है कि आने वाले सभी नए स्मार्टफोन में यह ऐप पहले से इंस्टॉल रहेगा। जैसे ही यह जानकारी सामने आई, आम यूज़र्स और साइबर एक्सपर्ट्स के बीच चिंता की लहर दौड़ गई। विपक्ष का कहना है कि यह कदम लोगों की निजी ज़िंदगी में दखल है। प्रियंका गांधी ने तो इसे “नागरिकों की प्राइवेसी पर सीधा हमला” बताते हुए जनता को सतर्क रहने की सलाह भी दी है।

सवाल 1: संचार साथी ऐप क्या है और कैसे फायदेमंद है?

यह ऐप केंद्र सरकार का डिजिटल सेफ्टी प्लेटफॉर्म है, जिसे 17 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य साइबर ठगी और मोबाइल फ्रॉड को कम करना है। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर, ऐप स्टोर और आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके प्रमुख फायदे हैं—

  • चोरी या खोए फोन को सभी नेटवर्क पर ब्लॉक करवाना
  • IMEI नंबर वेरिफाई कर असली-नकली डिवाइस पहचान करना
  • अपने नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं, यह चेक करना
  • संदिग्ध कॉल/SMS की रिपोर्ट करना
सरकार के अनुसार, यह कदम साइबर अपराध रोकने के लिए जरूरी है।

सवाल 2: इसका विरोध क्यों हो रहा है? यह फोन से कौन-सा डेटा देख सकता है?

1 दिसंबर 2025 की सरकारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि यह ऐप डिफ़ॉल्ट रूप से सभी नए स्मार्टफोन्स में प्री-इंस्टॉल होगा और इसे डिसेबल नहीं किया जा सकेगा। बाद में जब तकनीकी विशेषज्ञों ने इसके परमिशन स्क्रीनशॉट शेयर किए तो विवाद बढ़ गया। ऐप कैमरा, माइक्रोफोन, मैसेज, कॉल लॉग, लोकेशन और कीबोर्ड एक्सेस जैसी विस्तृत परमिशन मांगता है जिन्हें यूज़र बदल नहीं सकता। विपक्ष ने इसे “डिजिटल डिक्टेटरशिप”, “जासूसी ऐप” और “निजता पर हमला” बताया। उनका तर्क है कि सरकार नागरिकों पर निगरानी चाहती है।

सवाल 3: क्या इससे जासूसी संभव है?

विशेषज्ञों के अनुसार, तकनीकी रूप से इसकी संभावनाएं मौजूद हैं—
  • ऐप को कैमरा, माइक, SMS, कॉल डेटा और लोकेशन की एक्सेस मिलती है
  • इसका डेटा DoT के सर्वर पर स्टोर होता है
  • कानून के नाम पर यह डेटा पुलिस/CBI जैसी एजेंसियों को दिया जा सकता है
यानी आपका लोकेशन इतिहास, पर्सनल चैट और बैंक मैसेज भी ट्रैक हो सकते हैं—यह डर लोगों को परेशान कर रहा है।

सवाल 4: डेटा कितने समय तक रखा जाता है?

ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में स्पष्ट टाइमलिमिट नहीं बताई गई है। केवल इतना कहा गया है कि डेटा सुरक्षित रहेगा और “कानूनी जरूरत पर शेयर” किया जा सकता है। यही अस्पष्टता प्राइवेसी रिस्क को बढ़ाती है।

सवाल 5: क्या बिना ज़रूरत के भी यह ऐप अतिरिक्त परमिशन मांग रहा है?

ऐप के मुख्य फीचर्स—IMEI चेक, सिम ट्रैकिंग, फोन ब्लॉकिंग और फ्रॉड रिपोर्टिंग—के लिए बस डिवाइस आइडेंटिफायर और नेटवर्क एक्सेस काफी है। लेकिन ऐप कैमरा, माइक्रोफोन, स्टोरेज और कीबोर्ड एक्सेस भी मांगता है, जो इसकी जरूरत से कहीं अधिक है। इसे विशेषज्ञ “ब्रॉड और अननेसेसरी एक्सेस” मानते हैं।

सवाल 6: क्या पहले भी जासूसी तकनीक का उपयोग हुआ है?

2023 के पेगासस स्पाइवेयर विवाद में कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स की जासूसी के आरोप लगे थे। पेगासस मैसेज पढ़ने, कॉल सुनने, कैमरा एक्टिवेट करने तक सक्षम था। हालांकि संचार साथी स्पाइवेयर नहीं है—यह सरकारी ऐप है और खुले रूप में इंस्टॉल किया जाएगा। लेकिन विरोधियों का कहना है कि इसे भी गलत उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

सवाल 7: जब कई ऐप ऐसी परमिशन लेते हैं, तो संचार साथी पर इतना विरोध क्यों?

दो बड़े कारण हैं—
  • डेटा किसके पास जा रहा है? – निजी कंपनी नहीं, सीधे सरकार के सर्वर्स पर
  • इसे अनिवार्य बनाया जा रहा है, यानी यूज़र की चॉइस खत्म
इसलिए आलोचकों को डर है कि यह नागरिकों की निरंतर निगरानी का नया मॉडल बन सकता है।

सवाल 8: क्या इसे अनइंस्टॉल किया जा सकता है?

शुरुआत में कहा गया कि ऐप को हटाया नहीं जा सकेगा। लेकिन विरोध बढ़ने पर दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि यूज़र इसे अनइंस्टॉल कर सकेंगे।

सवाल 9: मोबाइल कंपनियों और Apple के सामने चुनौती
  • कंपनियों को 90 दिन में नए फोन में ऐप प्री-लोड करना होगा
  • पुराने फोन में यह सॉफ्टवेयर अपडेट से आएगा
  • Apple की ग्लोबल पॉलिसी कहती है कि सरकारी ऐप्स को मजबूरन इंस्टॉल नहीं किया जा सकता
  • पहले भी Apple ने भारत का DND ऐप रिजेक्ट कर दिया था
ऐसे में Apple कोर्ट जा सकता है या सरकार को एक्सेप्शन देना पड़ सकता है।

सवाल 10: यूज़र अपनी प्राइवेसी कैसे बचाएं?
  • ऐप को अभी डाउनलोड करने से बचें
  • पुराने फोन में ऑटो-अपडेट बंद कर दें
  • कैमरा/माइक/SMS/लोकेशन को “Ask Every Time” पर सेट करें
  • फोन रीस्टार्ट के बाद बैकग्राउंड एक्टिविटी चेक करते रहें
मुख्य विवाद और तथ्य -
मुद्दा सरकार का दावा आलोचकों की चिंता
ऐप का उद्देश्य साइबर फ्रॉड रोकना निगरानी का रास्ता
परमिशन फीचर सपोर्ट के लिए कैमरा-माइक जैसी अननेसेसरी परमिशन
डाटा स्टोरेज सुरक्षित, कानूनी जरूरत पर साझा कितने समय तक रखा जाएगा स्पष्ट नहीं
अनइंस्टॉल करना संभव पहले कहा गया था कि संभव नहीं
प्री-इंस्टॉल सभी नए फोन में अनिवार्य यह यूज़र चॉइस खत्म करता है
सरकारी सर्वर डेटा मैनेजमेंट के लिए दुरुपयोग की आशंका


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