‘इकोनॉमिक सुसाइड होगी, घाटे में रहेंगे’, विदेश मंत्री जयशंकर की चेतावनी, किस-किस देश को होगा नुकसान?

Photo Source :

Posted On:Thursday, December 4, 2025

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप, को कुशल अप्रवासियों की आवाजाही पर कठोर प्रतिबंध लगाने के परिणामों के बारे में साफ-साफ शब्दों में चेतावनी दी है। नई दिल्ली में आयोजित 'इंडिया वर्ल्ड एनुअल कॉन्क्लेव 2025' में बोलते हुए, उन्होंने अप्रवास (इमिग्रेशन), स्किल्ड वर्कर्स और टैलेंट मोबिलिटी जैसे विषयों पर भारत का रुख स्पष्ट किया। जयशंकर ने साफ संदेश दिया कि अगर इन उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने वर्कफोर्स मोबिलिटी यानी कुशल अप्रवासियों की आवाजाही पर कठोर प्रतिबंध लगाए, तो इन देशों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है, और यह कदम उनके लिए 'आर्थिक आत्महत्या' (Economic Suicide) साबित होगा।

पश्चिमी देश कहलाएंगे 'नेट लूजर'

विदेश मंत्री ने तर्क दिया कि वैश्विक प्रतिभा के प्रवाह (Talent Mobility) को आने-जाने से रोकना एक आत्मघाती कदम है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रतिबंध लगाने वाले पश्चिमी देश 'नेट लूजर' कहलाएंगे और उन्हें भारी घाटा झेलना पड़ेगा। जयशंकर ने कहा, "एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के दौर में, प्रशिक्षित और स्किल्ड वर्कफोर्स की मांग लगातार बढ़ रही है। टैलेंट को देश में आने से रोकना सीधे तौर पर आपके नवाचार (Innovation) और आर्थिक विकास को धीमा करेगा।"

भारत की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक H-1B वीजा प्रोग्राम के नियमों को सख्त बनाने की मांग कर रहे हैं और पूरे यूरोप में अप्रवास विरोधी (Anti-Immigration) राजनीति का ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है।

बेरोजगारी का कारण कंपनियों की शिफ्टिंग

विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रवासियों को अपने देश के आर्थिक संकट या बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार ठहराने को गलत बताया। उन्होंने तर्क दिया कि पश्चिमी देशों में बेरोजगारी का मुख्य कारण उनकी अपनी कॉर्पोरेट नीतियां हैं। उन्होंने कहा, "पश्चिमी देशों ने जानबूझकर अपनी कंपनियों को सस्ते श्रम के लिए अन्य देशों में शिफ्ट किया है। जब कंपनियां विदेशों में शिफ्ट हो गईं तो देश के लोगों को रोजगार नहीं मिला। इसके लिए दूसरे देश से आए लोग नहीं, बल्कि खुद की पॉलिसी और गतिविधियां जिम्मेदार हैं।"

जयशंकर ने आगाह किया कि अगर अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस बढ़ा दी और नियम सख्त कर दिए, तो कुशल पेशेवर और उद्यमी व्यापार और नौकरी के लिए अमेरिका की यात्रा नहीं कर पाएंगे। यदि लोग नहीं आ पाएंगे, तो कंपनियां अपना काम और निवेश दूसरे देशों में शिफ्ट कर देंगी, जिसका आर्थिक नुकसान पश्चिमी देशों को ही उठाना पड़ेगा।

इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग को खतरा

विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य देशों (जैसे ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस) पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका H-1B वीजा प्रोग्राम पर सख्ती बरतोगा, तो इससे अमेरिका में इनोवेशन पीछे रह जाएगा और इकोनॉमिक ग्रोथ रुकेगी।

इसी तरह, उन्होंने यूरोप को चेताया कि यदि यूरोपीय संघ में एंटी-इमिग्रेंट पॉलिटिक्स हावी हुई, तो यूरोपीय देशों को स्किल्ड वर्कफोर्स की गंभीर कमी झेलनी पड़ेगी, जिससे उनका मैन्युफैक्चरिंग और टेक सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। जयशंकर ने अपील की कि इन देशों को प्रवासन नीतियों पर सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए।

अवैध प्रवास पर स्पष्ट रुख

इस बीच, विदेश मंत्री ने अवैध प्रवास को लेकर अपना रुख भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में अवैध तरीके से रहना गैर-कानूनी है। फरवरी 2025 में, उन्होंने अमेरिका के अवैध भारतीय अप्रवासियों को वापस भेजने के फैसले का समर्थन किया था और कहा था कि सभी देशों की जिम्मेदारी है कि वे अमेरिका या अन्य देशों में अवैध तरीके से रह रहे अपने नागरिकों को वापस अपने वतन लाएं। इस तरह, जयशंकर ने वैध और कुशल टैलेंट मोबिलिटी के पक्ष में मजबूत तर्क पेश करते हुए अवैध प्रवास का विरोध किया, लेकिन साथ ही पश्चिमी देशों को उनकी अप्रवासन नीतियों के आर्थिक परिणामों के बारे में सीधे तौर पर चेतावनी भी दी।


कानपुर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Kanpurvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.