मुंबई, 19 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय करने का विवाद बढ़ता जा रहा है। इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ऐतराज जताया है। सांसद ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। ऐसे में आप (CJI) किसी अपॉइंटिंग अथॉरिटी को निर्देश कैसे दे सकते हैं। उन्होंने कहा, संसद इस देश का कानून बनाती है। क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे। देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए। दरअसल, ये मामला तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के बीच हुए विवाद से उठा था। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को आदेश दिया कि राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है। वहीं बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। यह ऑर्डर 11 अप्रैल को सामने आया था।
उन्होंने कहा, एक आर्टिकल 377 था, जिसमें समलैंगिकता एक अपराध था। अमेरिका में ट्रम्प सरकार ने कहा कि दुनिया में केवल दो ही लिंग है, एक- पुरुष, दूसरा- महिला। तीसरे की कोई जगह नहीं है। जितने भी धर्म हैं, चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, जैन हो, सिख हो, ईसाई हो। सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है। सुप्रीम कोर्ट एक सुबह उठती है वे कहते हैं कि हम यह आर्टिकल खत्म करते हैं। हमने आईटी एक्ट बनाया। जिसके तहत महिलाओं और बच्चों के पोर्न पर लगाम लगाने का काम किया गया। एक दिन सुप्रीम कोर्ट कहता है कि वे 66A आईटी एक्ट को खत्म कर रहे हैं। मैंने आर्टिकल 141 का अध्ययन किया है। यह आर्टिकल कहता है कि हम जो कानून बनाते हैं वो लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होता है। आर्टिकल 368 कहता है कि इस देश की संसद को कानून बनाने का अधिकार है और इसकी व्याख्या करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है। हमारे देश में सनातन की परंपरा रही है। लाखों साल की परंपरा है। जब राम मंदिर का विषय आता है तो आप कहते हैं कि कागज दिखाओ। कृष्णजन्मभूमि का मामला आएगा तो कहेंगे कि कागज दिखाओ। यही बात ज्ञानवापी केस में कहेंगे। इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।