वोटर लिस्ट गड़बड़ी को लेकर भाजपा ने सोनिया और राहुल गांधी पर साधा निशाना, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Wednesday, August 13, 2025

मुंबई, 13 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आरोपों के बीच भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा है कि सोनिया गांधी का नाम दो बार भारत की वोटर लिस्ट में शामिल हुआ था, जबकि उस समय वह भारतीय नागरिक भी नहीं थीं। भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को दावा किया कि यह चुनावी कानून का स्पष्ट उल्लंघन है और यही कारण है कि राहुल गांधी हमेशा ऐसे मतदाताओं को वैध ठहराने के पक्ष में रहते हैं, जो अयोग्य या अवैध होते हैं।

मालवीय ने कहा कि सोनिया गांधी का नाम पहली बार 1980 में वोटर लिस्ट में जोड़ा गया, जबकि उस समय वे इटली की नागरिक थीं और गांधी परिवार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक आवास 1, सफदरजंग रोड पर रह रहा था। बाद में 1982 में विरोध के चलते उनका नाम हटाया गया, लेकिन 1983 में फिर से लिस्ट में शामिल कर दिया गया। समस्या यह थी कि उस समय तक सोनिया को भारतीय नागरिकता मिली ही नहीं थी, क्योंकि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता ग्रहण की थी। मालवीय ने सवाल उठाया कि आखिर उन्होंने राजीव गांधी से शादी के 15 साल बाद जाकर ही नागरिकता क्यों ली।

वहीं, भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि रायबरेली में एक ही घर पर 47 वोटर रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने कहा कि राहुल और सोनिया गांधी दो-दो बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन कभी इस गड़बड़ी पर ध्यान नहीं दिया। ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि वायनाड में भी वोटर्स की संख्या असामान्य ढंग से बढ़ाई गई है और राहुल ने इस पर कभी सवाल नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का हार का रिकॉर्ड रहा है और जब भी वे चुनाव हारते हैं तो EVM और मतदाता सूची पर दोष मढ़ते हैं।

अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग और संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप लगाती रही है। उन्होंने कहा कि कई बार कांग्रेस ने EVM पर प्रतिबंध की मांग की और बैलेट पेपर से मतदान की वकालत की, लेकिन असलियत यह है कि कांग्रेस आत्ममंथन करने के बजाय हार का ठीकरा चुनाव आयोग और संस्थाओं पर फोड़ती है। ठाकुर ने यहां तक कहा कि बिहार चुनाव में भी कांग्रेस को अपनी हार पहले से दिखाई दे रही है और इसीलिए वह विपक्षी दलों के साथ मिलकर झूठे आरोप लगा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि 1952 में कांग्रेस और सीपीआई ने मिलकर डॉ. भीमराव अंबेडकर को हराने में भूमिका निभाई थी और उसी समय कांग्रेस ने चुनावी भ्रष्टाचार की नींव रख दी थी।


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