मुंबई, 09 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ग्वालियर में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए श्योपुर नगर परिषद की अध्यक्ष रेणु गर्ग को तत्काल प्रभाव से पद पर काम करने से रोक दिया है। अदालत ने कहा कि बिना राजपत्र अधिसूचना के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना गैरकानूनी है। यह आदेश सोमवार सुबह 11:10 बजे से लागू हो गया है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी टिप्पणी की कि प्रतिवादी पक्ष विभिन्न अदालतों में विरोधाभासी रुख अपनाकर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है।
यह मामला सुमेर सिंह द्वारा रेणु गर्ग के निर्वाचन को चुनौती देने से जुड़ा है। उन्होंने पहले निचली अदालत में चुनाव याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इसे कई आधारों पर खारिज कर दिया था। याचिका खारिज करने का मुख्य कारण यह था कि इसे समय से पहले दायर किया गया था। एमपी नगर पालिका अधिनियम की धारा 20(3)(द्व) के अनुसार, चुनाव परिणाम की राजपत्र अधिसूचना की तारीख से 30 दिनों के भीतर ही याचिका दाखिल की जा सकती है। चूंकि सुमेर सिंह ने अधिसूचना जारी होने से पहले ही याचिका दायर कर दी थी, इसलिए निचली अदालत ने उसे प्रीमैच्योर बताते हुए खारिज कर दिया।
इसके बाद सुमेर सिंह ने हाईकोर्ट में सिविल रिवीजन याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बिना अधिसूचना जारी किए रेणु गर्ग का अध्यक्ष के रूप में कार्य करना अवैध है। अदालत ने इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता जताते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्य करने से रोक दिया। साथ ही राज्य के वकील को निर्देश दिया गया कि आदेश की जानकारी तुरंत नगर परिषद श्योपुर के अध्यक्ष और सीईओ तक पहुंचाई जाए। हाईकोर्ट ने सिविल रिवीजन को अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।