कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर के आईआईटी संस्थान में एक और पीएचडी छात्र ने आत्महत्या कर ली। केमिस्ट्री से पीएचडी कर रहे अंकित यादव ने सोमवार को अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। इस घटना का पता तब चला जब उसकी एक दोस्त मिलने आई और दरवाजा अंदर से बंद पाया। खिड़की से झांकने पर उसने देखा कि अंकित का शव फंदे से लटक रहा था। तुरंत प्रशासन को सूचना दी गई, जिसके बाद दरवाजा तोड़कर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अंकित यादव मूल रूप से नोएडा का रहने वाला था और हाल ही में 2024 में आईआईटी कानपुर में पीएचडी में दाखिला लिया था। उसके पिता रामसूरत यादव नोएडा के जागृति अपार्टमेंट में रहते हैं। अंकित के परिवार वालों को उसकी आत्महत्या की कोई वजह समझ नहीं आ रही। उसके चाचा प्रदीप यादव ने बताया कि अंकित शुरू से ही पढ़ाई में तेज था और परिवार को उससे काफी उम्मीदें थीं। दो दिन पहले ही उससे बात हुई थी और वह सामान्य लग रहा था, फिर उसने ऐसा कदम क्यों उठाया, यह रहस्य बना हुआ है।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच की और कमरे से एक सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें लिखा था, "अब मैं क्विट कर रहा हूं, इसमें किसी का इन्वॉल्वमेंट नहीं है।" पुलिस मामले की जांच कर रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
आईआईटी कानपुर में आत्महत्याओं का यह पहला मामला नहीं है। पिछले दो सालों में कई छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स ने अपनी जान दी है। दिसंबर 2024 में प्रियंका जायसवाल नाम की पीएचडी छात्रा ने हॉस्टल में आत्महत्या कर ली थी। जनवरी 2024 में पीएचडी छात्र विकास मीणा ने फांसी लगा ली थी। 2022 में वाराणसी के प्रशांत सिंह और 2021 में असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुरजीत दास भी आत्महत्या कर चुके हैं। इन बढ़ते मामलों ने संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है।