फिलिस्तीन और इजराइल के बीच जारी संघर्ष ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। आए दिन गाजा पट्टी से जो तस्वीरें और रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, वे मानवीय त्रासदी की भयावहता को उजागर करती हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट और संतुलित राय रखते हुए शांति की दिशा में चार महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
युद्ध का भयावह असर
गाजा पट्टी में स्थिति दिन-ब-दिन और भी खराब होती जा रही है। बमबारी और सैन्य हमलों के कारण वहां के नागरिकों का जीवन संकट में आ गया है। अस्पतालों में दवाइयों और उपकरणों की कमी है, बिजली-पानी की आपूर्ति ठप पड़ी है और बच्चे स्कूलों से दूर हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक गाजा के लाखों निवासियों को बुनियादी ज़रूरतों तक की सुविधा नहीं मिल रही है।
ऐसे माहौल में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया और स्पष्ट रूप से कहा कि मौजूदा हालात अस्वीकार्य हैं और इसमें तत्काल सुधार की ज़रूरत है।
भारत की चार महत्वपूर्ण सिफारिशें
भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत हरीश पी. ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखते हुए शांति की दिशा में चार जरूरी कदमों का सुझाव दिया:
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तुरंत युद्धविराम (सीजफायर):
भारत ने सबसे पहले दोनों पक्षों से अपील की कि वे तुरंत युद्धविराम की घोषणा करें। इससे जमीन पर हो रही जान-माल की हानि को रोका जा सकेगा और आगे की बातचीत के लिए माहौल तैयार होगा।
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मानवीय सहायता की आपूर्ति:
गाजा में स्थिति बेहद गंभीर है। वहां के नागरिकों को भोजन, दवा, साफ पानी और शरण की तत्काल आवश्यकता है। भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर मानवीय सहायता पहुंचाने के प्रयासों को तेज करना चाहिए।
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बंधकों की रिहाई:
भारत ने इस बात पर बल दिया कि जो भी लोग बंधक बनाए गए हैं, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। यह शांति बहाली की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा और विश्वास बहाली में मदद करेगा।
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सीधी बातचीत और कूटनीति:
भारत ने दोनों देशों से अपील की कि वे आपसी बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटें। बिना बातचीत के स्थायी समाधान असंभव है। भारत ने कहा कि दो-राज्य समाधान की ओर बढ़ना ही एकमात्र व्यावहारिक रास्ता है।
भारत की भूमिका और भावनाएं
राजदूत हरीश पी. ने कहा कि भारत सदैव मध्य पूर्व में शांति का पक्षधर रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत फिलिस्तीन और इजराइल दोनों के साथ अच्छे संबंध रखता है और इसी वजह से वह एक संतुलित भूमिका निभा सकता है।
भारत की ओर से यह भी कहा गया कि वह उन सभी देशों की सराहना करता है, जिन्होंने गाजा में मानवीय राहत पहुंचाने के प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि यह समय एकजुटता का है, न कि विभाजन का।
निष्कर्ष
फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष केवल दो देशों का मुद्दा नहीं है, यह पूरे विश्व की शांति व्यवस्था के लिए एक चुनौती बन चुका है। ऐसे समय में भारत की यह अपील न केवल मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत वैश्विक शांति में एक ज़िम्मेदार भूमिका निभा रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत के ये चार सुझाव आने वाले समय में इस युद्ध को समाप्त करने और स्थायी शांति की दिशा में मददगार साबित होंगे।