30 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 100 मिनट का संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान, आतंकवाद और भारतीय सेना की वीरता के साथ-साथ ऐतिहासिक घटनाओं को भी जोड़ा। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक कथन का खंडन करते हुए यह स्पष्ट किया कि भारत ने सीजफायर का फैसला अपने दम पर लिया, किसी विदेशी नेता के कहने पर नहीं।
इस भाषण में एक विशेष बिंदु ने सबका ध्यान खींचा — हाजीपीर पास। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में तीखा सवाल उठाया कि जब 1965 के युद्ध में भारतीय सेना ने हाजीपीर पास पर नियंत्रण कर लिया था, तो उसे पाकिस्तान को क्यों लौटा दिया गया?
क्या है हाजीपीर पास?
हाजीपीर पास पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित एक रणनीतिक दर्रा है, जो 2,637 मीटर (8,652 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह दर्रा भारत के लिए खास इसलिए है क्योंकि यदि यह भारत के पास होता, तो पुंछ और उरी के बीच की दूरी 282 किमी से घटकर मात्र 56 किमी रह जाती, जिससे सुरक्षा और संपर्क दोनों में भारी सुधार होता।
यह दर्रा जम्मू-कश्मीर की घाटी और सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने में हमेशा से अहम भूमिका निभाता रहा है। 1965 से पहले पाकिस्तान इसका इस्तेमाल भारतीय सीमा में आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए करता था।
1965 की जंग और हाजीपीर पर कब्जा
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जब युद्ध शुरू हुआ, तब पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत कश्मीर घाटी में गुरिल्ला हमलों और स्थानीय विद्रोह को उकसाने की साजिश रची। पाकिस्तानी सेना ने मई 1965 में श्रीनगर-लेह हाइवे पर हमला करते हुए तीन ऊँचाई वाले क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था।
इसके जवाब में 15 अगस्त 1965 को भारतीय सेना ने कड़ा प्रतिउत्तर देते हुए नियंत्रण रेखा पार की और उन तीनों पहाड़ियों को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया। इसमें सबसे अहम जीत 28 अगस्त को हाजीपीर पास पर कब्जे की थी। इस ऑपरेशन को भारतीय सेना ने बहादुरी से अंजाम दिया, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ और उसकी सेना को पीछे हटना पड़ा।
ताशकंद समझौता और पास की वापसी
हालांकि, 10 जनवरी 1966 को भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता हुआ, जिसमें युद्धविराम के बदले भारत ने हाजीपीर पास सहित कई अहम क्षेत्रों को वापस पाकिस्तान को सौंप दिया। यह फैसला उस समय के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा लिया गया था। इस समझौते की उस समय भी काफी आलोचना हुई थी, और आज भी यह एक विवाद का विषय बना हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी का संसद में यह सवाल उठाना कि हाजीपीर वापस क्यों दिया गया, एक बार फिर इस पुराने ज़ख्म को ताज़ा कर गया है। उनकी टिप्पणी का आशय साफ था — भारत अब कमजोर फैसले नहीं करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर और वर्तमान संदर्भ
ऑपरेशन सिंदूर, जो हाल ही में आतंकियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में चलाया गया संयुक्त अभियान था, भारतीय सेना, सीआरपीएफ और पुलिस का एक समन्वित प्रयास था। इस ऑपरेशन में आतंकवादियों को मार गिराया गया और घाटी में शांति बनाए रखने का संदेश दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह ऑपरेशन भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है। उनके अनुसार, भारत अब आतंक के प्रति नरम नहीं रहेगा, चाहे वह सीमा पार से आए या भीतर से हो।