मुंबई, 26 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। लद्दाख के द्रास में आयोजित कारगिल विजय दिवस के कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवाद के समर्थन को किसी भी सूरत में बर्दाश्त न करने का सीधा संदेश पाकिस्तान को दिया है। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब थी, जिसने पूरे देश को गहरे दुख में डाल दिया था। इस बार भारत ने केवल शोक व्यक्त नहीं किया, बल्कि आतंक के सरपरस्तों को स्पष्ट चेतावनी भी दी। जनरल द्विवेदी ने यह भी कहा कि अब दुश्मन को तुरंत और सटीक जवाब देना भारतीय सैन्य नीति का हिस्सा बन चुका है, जिसे उन्होंने “न्यू नॉर्मल” बताया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ थलसेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुख भी उपस्थित थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि देश हमेशा उन सैनिकों का ऋणी रहेगा जिन्होंने बेहद कठिन परिस्थितियों में देश के मान-सम्मान की रक्षा करते हुए अद्भुत साहस और समर्पण का परिचय दिया। उन्होंने कारगिल युद्ध के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि उनका बलिदान भारत के सशस्त्र बलों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
कारगिल विजय दिवस भारत की सैन्य इतिहास की एक अहम तारीख है। 5 मई 1999 को पाकिस्तान की ओर से की गई घुसपैठ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर युद्ध छिड़ गया था, जो करीब 84 दिनों तक चला। यह लड़ाई 26 जुलाई 1999 को भारत की ऐतिहासिक जीत के साथ समाप्त हुई थी। इस दिन को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि उन सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान को याद किया जा सके। इस युद्ध की शुरुआत उस समय हुई थी जब पाकिस्तानी सैनिकों ने गुपचुप तरीके से कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। 8 मई को आजम चौकी पर पाकिस्तान के लगभग 12 सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। पहले इसे आतंकियों की सामान्य घुसपैठ माना गया था, लेकिन जब एक भारतीय चरवाहे ने इन गतिविधियों की जानकारी सेना को दी और बाद में अलग-अलग चोटियों से भारतीय सेना पर हमले शुरू हुए, तब साफ हुआ कि यह पाकिस्तान की सैन्य साजिश है। भारत ने पहले कम संख्या में सैनिकों को भेजा, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपना रूस दौरा रद्द किया और पूरे सैन्य बल के साथ ऑपरेशन विजय की शुरुआत की गई। पाकिस्तानी सेना ऊंची चोटियों पर बैठी थी जिससे भारतीय सेना को रणनीतिक रूप से कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारतीय जवानों ने दुश्मन की नजर से बचने के लिए रात में कठिन पर्वतीय इलाकों में चढ़ाई की। शुरुआत में भारत को कुछ नुकसान उठाना पड़ा लेकिन जल्द ही सेना ने साहस और योजना के साथ हालात पर काबू पाया और दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।