मुंबई, 16 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) एक समय था जब प्लास्टिक सर्जरी को सिर्फ हॉलीवुड की दुनिया से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन आज भारत इस क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनकर उभरा है। चिकित्सा के इतिहास में, भारत का नाम महर्षि सुश्रुत के साथ हमेशा जुड़ा रहेगा, जिन्हें दुनिया में प्लास्टिक सर्जरी का जनक माना जाता है। उनकी 'सुश्रुत संहिता' में आज से 2600 साल पहले नाक और शरीर के अन्य अंगों के पुनर्निर्माण की जो विधियां वर्णित हैं, उनका इस्तेमाल आज भी होता है।
आज, भारत में प्लास्टिक सर्जरी का यह समृद्ध इतिहास आधुनिक तकनीक और बढ़ती मांग के साथ मिलकर एक नए युग की शुरुआत कर रहा है। 'सेल्फी कल्चर' और सोशल मीडिया ने लोगों में अपने लुक को लेकर जागरूकता बढ़ाई है, जिससे कॉस्मेटिक सर्जरी की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
अतीत का गौरव और वर्तमान की वास्तविकता
प्राचीन भारत में, सुश्रुत ने माथे की त्वचा का उपयोग करके कटी हुई नाक को फिर से बनाने की कला में महारत हासिल की थी, जिसे 'फ्लैप राइनोप्लास्टी' कहा जाता है। हाल ही में, कोलंबिया यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने भी सुश्रुत के योगदान को मान्यता दी है।
वर्तमान में, भारत में प्लास्टिक सर्जरी का विकास सिर्फ सौंदर्य तक सीमित नहीं है। यह दुर्घटनाओं, जन्मजात विकारों, जलने और कैंसर जैसी बीमारियों के कारण क्षतिग्रस्त हुए अंगों के पुनर्निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत में प्लास्टिक सर्जन सिर्फ सौंदर्य के लिए ही नहीं, बल्कि मरीजों को एक नया जीवन देने का काम भी करते हैं।
भारत को वैश्विक हब बनाने वाले कारक
भारत को प्लास्टिक सर्जरी का वैश्विक केंद्र बनाने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है लागत-प्रभावशीलता। यहां सर्जरी की लागत अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे विदेशी मरीजों के लिए भारत एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है। इसके अलावा, भारत में अत्यधिक कुशल और अनुभवी सर्जन की उपलब्धता, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रशिक्षित होते हैं, भी एक महत्वपूर्ण कारक है।
भारत में चिकित्सा पर्यटन (मेडिकल टूरिज्म) तेज़ी से बढ़ रहा है। विदेशी मरीज न केवल इलाज के लिए आते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य लाभ के दौरान भारत की संस्कृति और पर्यटन स्थलों का भी आनंद लेते हैं। सरकार की नीतियां भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे भारत 'मेड-इन-इंडिया' समाधानों के साथ-साथ 'हील-इन-इंडिया' के मंत्र को भी साकार कर रहा है।
प्लास्टिक सर्जरी सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को बहाल करने का एक माध्यम भी है। चाहे वह सुश्रुत की प्राचीन कला हो या आधुनिक सेल्फी-प्रेरित सर्जरी, भारत ने इस क्षेत्र में अपनी जगह मजबूती से बनाई है।