कानपुर न्यूज डेस्क: पनकी में निर्माणाधीन 660 मेगावाट के बिजली उत्पादन पॉवर प्लांट में सुपर क्रिटिकल तकनीक के उपयोग पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), कानपुर और पनकी थर्मल पावर स्टेशन प्रबंधन ने संयुक्त रूप से किया था। एक्सईएन कृष्ण कान्त समेले ने इस तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दी, जबकि प्लांट के मुख्य महाप्रबंधक गोविन्द कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि थे।
इस कार्यक्रम में सुपर क्रिटिकल तकनीक के फायदे और इसके उपयोग से बिजली उत्पादन में होने वाली बचत पर चर्चा की गई। इस तकनीक के उपयोग से बिजली उत्पादन में अधिक कुशलता और कम ईंधन की खपत होती है, जिससे पर्यावरण पर भी कम प्रभाव पड़ता है।
एक्सईएन कृष्ण कान्त समेले ने बताया कि पहले के समय में सबक्रिटिकल तकनीक का उपयोग करके पॉवर प्लांट बनाए जाते थे, लेकिन अब प्रदेश में पनकी जैसे सुपर क्रिटिकल तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस नई तकनीक में बिजली उत्पादन के लिए कम ईंधन की आवश्यकता होती है, जिससे ग्रीन हाउस गैस और राख का उत्पादन भी कम होता है। इसके अलावा, सुपर क्रिटिकल तकनीक में तापमान भी कम रहता है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। पनकी पॉवर प्लांट में नाइट्रोजन आक्साइड और सल्फर डाई आक्साइड जैसे हानिकारक तत्वों को खत्म करने के लिए एसीआर और एफजीडी सिस्टम भी लगाया गया है।
मुख्य महाप्रबंधक जीके मिश्रा ने रॉयल चार्टर डे के अवसर पर द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के इतिहास और महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह संस्था एकमात्र ऐसा निकाय है जिसे सितंबर 1935 में लंदन के बकिंघम पैलेस में राजा जॉर्ज पंचम द्वारा रॉयल चार्टर प्रदान किया गया था।
इस अवसर पर द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) कानपुर के चेयरमैन डॉ. मुकेश कुमार सिंह, आलोक प्रताप सिंह, रमाकान्त यादव, राम औतार दीक्षित सहित कई अन्य अभियंता उपस्थित थे।