कनाडा की नई सरकार में भारतीय मूल के नेताओं का जलवा साफ नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अपनी नई 28 सदस्यीय मंत्रिमंडल की घोषणा कर दी है, जिसमें चार भारतीय मूल के नेताओं को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले की सरकार में 2 भारतीय चेहरे थे, लेकिन इस बार यह संख्या बढ़कर 4 हो गई है। साथ ही, संसद में रिकॉर्ड 22 भारतीय मूल के सांसद पहुंचे हैं, जो कनाडा के इतिहास में एक नया कीर्तिमान है।
यह उपलब्धि न सिर्फ प्रवासी भारतीयों के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतवंशियों का राजनीतिक प्रभाव वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है।
आइए जानते हैं, कौन हैं ये चार प्रभावशाली चेहरे और उन्हें क्या जिम्मेदारी मिली है:
1. मनिंदर सिद्धू – अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री
ब्रैम्पटन ईस्ट से सांसद मनिंदर सिद्धू को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। यह पद ऐसे समय पर दिया गया है जब कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव की स्थिति बनी हुई है। मनिंदर सिद्धू इससे पहले भी कई वरिष्ठ मंत्रियों के संसदीय सचिव रह चुके हैं और वे कनाडा में ही पले-बढ़े हैं। उनकी शिक्षा और अनुभव इस मंत्रालय में उन्हें और अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं।
2. रणदीप सराय – अंतरराष्ट्रीय विकास मामलों के राज्य सचिव
रणदीप सराय को कनाडा सरकार में अंतरराष्ट्रीय विकास मामलों का राज्य सचिव बनाया गया है। वे 2015, 2019 और 2021 में संसद के लिए चुने गए थे और लंबे समय से कनाडा की राजनीति में सक्रिय हैं। वे शांति, विकास और सहयोग जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी पकड़ के लिए जाने जाते हैं।
3. रूबी सहोता – अपराध नियंत्रण मामलों की सचिव
ब्रैम्पटन नॉर्थ से सांसद रूबी सहोता को अपराध नियंत्रण मामलों की सचिव बनाया गया है। रूबी मूल रूप से वकील हैं और युवाओं से जुड़े सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रही हैं। 2015 से वे संसद सदस्य हैं और उनकी कानूनी पृष्ठभूमि उन्हें अपराध नियंत्रण मामलों में विशेषज्ञ बनाती है।
4. अनीता आनंद – विदेश मंत्री
सबसे बड़ा और प्रभावशाली पद अनीता आनंद को मिला है, जिन्हें विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है। 57 वर्षीय अनीता इससे पहले रक्षा और नवाचार मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं और वे कनाडा की प्रमुख रणनीतिक योजनाओं में शामिल रही हैं। अनीता के पिता तमिल और मां पंजाबी हैं। उनका जन्म नोवा स्कोटिया के केंटविल में हुआ था। वे उन प्रवासी भारतीयों की मिसाल हैं जो विदेश में भी श्रेष्ठ नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं।
भारतीय मूल के सांसदों ने तोड़ा रिकॉर्ड
कनाडा में इससे पहले संसद में सबसे अधिक 17 भारतीय मूल के सांसद पहुंचे थे। लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 22 हो गया है, जो एक नया इतिहास है। यह न केवल कनाडा बल्कि पूरी दुनिया में फैले प्रवासी भारतीयों की राजनीतिक सशक्तता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
कनाडा की नई सरकार में भारतीय मूल के नेताओं की हिस्सेदारी यह साबित करती है कि भारतीय समुदाय केवल व्यापार या आईटी क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व में भी अपनी गहरी छाप छोड़ रहा है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा दी गई यह जिम्मेदारियां भारत-कनाडा संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जा सकती हैं।
यह पल हर भारतीय के लिए गर्व से भरा है – जब हमारी जड़ें भले भारत में हों, लेकिन हमारे परदेस में भी खूब फैल रहे हैं। 🇨🇦🇮🇳