धर्म न्यूज डेस्क !!! जयपुर में वैसे तो कई मंदिर हैं लेकिन उनमें से सूर्य मंदिर अनोखा है। सूर्यदेव का यह मंदिर गलताजी पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर गलताजी धाम की ओर जाने वाले पैदल मार्ग के साथ आता है। पहाड़ी पर स्थित मंदिर का मुख दक्षिण की ओर है। यह मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित एक स्मारक है। इस प्राचीन मंदिर की स्थापना जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह ने की थी।
जयपुर के इस मंदिर पर पड़ती है सूरज की पहली किरण मंदिर में सबसे पहली किरण भगवान सूर्य पर पड़ती है। फिर सुबह सूर्य देव की पूजा की जाती है और शाम को 90 डिग्री की किरणें भी इस मंदिर पर पड़ती हैं। इस मंदिर में सूर्य भगवान और उनकी पत्नी रेणुका की मूर्ति स्थापित है। वहीं दूसरी मूर्ति में सूर्य भगवान झूले पर विराजमान हैं।
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पहले यहां अष्टधातु से बनी भगवान सूर्य नारायण की आठ इंच की आकर्षक प्रतिमा स्थापित थी। इस प्राचीन सूर्य मंदिर में सूर्य नारायण अपनी पत्नी के साथ स्थापित हैं। रविवार के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु सूर्य देव के दर्शन के लिए मंदिर में आते हैं। मंदिर से पूरा जयपुर शहर दिखाई देता है, एक नजर में जयपुर का यह नजारा पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। यहां सूर्य सप्तमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान सूर्य की आरती के बाद गलता घाटी से सात घोड़ों से सुसज्जित भगवान सूर्य की रथयात्रा निकाली जाती है।
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जयपुर को बसाने से पहले महाराजा सवाई जय सिंह ने शहर की सुख-शांति के लिए चारों दिशाओं में मंदिरों का निर्माण करवाया था। मंदिर में पूर्व में भगवान सूर्यदेव, पश्चिम में चांदपोल स्थित हनुमानजी, दक्षिण में मोतीडूंगरी के गणेशजी और उत्तर में गढ़ गणेशजी की स्थापना की गई। जयपुर राज्य के राजा सूर्यवंशी ने ही भगवान सूर्य का पहला मंदिर बनाया था। मंदिर में सूर्य देव की उनकी पत्नी के साथ एक मूर्ति स्थापित है। दूसरी मूर्ति में सूर्य भगवान झूले पर बैठे हुए हैं। यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से अद्वितीय है। सूर्य मंदिर न केवल एक आध्यात्मिक, धार्मिक और दर्शनीय स्थल है, बल्कि जयपुर का सूर्योदय और सूर्यास्त बिंदु भी है। जयपुर सूरज की पहली और आखिरी किरणें 90 डिग्री पर इस मंदिर पर पड़ती हैं।