राम गोपाल वर्मा, नागार्जुन और संदीप वंगा ने शिवा को रिलीज़ से पहले याद किया

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Posted On:Monday, November 10, 2025

फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा ने सोशल मीडिया पर एक खास तस्वीर साझा की, जिसमें वे नागार्जुन अक्किनेनी और निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा केसाथ एक ईरानी कैफ़े में नजर आ रहे हैं। यह कैफ़े उनकी 1989 की क्लासिक फिल्म शिवा के प्रतिष्ठित दृश्यों को पुनः जीवंत करता है। तस्वीर के साथ वर्मा ने कैप्शन में लिखा, “शिवा के बारे में बात करने के लिए मेरे, @iamnagarjuna और @imvangasandeep के लिए एक ईरानीकैफ़े फिर से बनाया।” इस पोस्ट ने तुरंत सिनेमा प्रेमियों का ध्यान खींचा, जो शिवा को तेलुगु सिनेमा की एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी फिल्ममानते हैं।

यह तस्वीर शिवा की 4K री-रिलीज़ से पहले 14 नवंबर, 2025 को साझा की गई, जो इसके डेब्यू के तीन दशक से अधिक पूरे होने का प्रतीक है।1989 में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने अपने यथार्थवादी प्रस्तुतीकरण, तीव्र एक्शन दृश्यों और यादगार साउंडट्रैक के साथ तेलुगु सिनेमा की दिशा हीबदल दी थी। शिवा ने न सिर्फ दर्शकों को झकझोर दिया बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता और कथा की गहराई के नए मानक भी स्थापित किए।

नागार्जुन द्वारा निभाई गई मुख्य भूमिका ने उन्हें रातों-रात सुपरस्टार बना दिया, जबकि राम गोपाल वर्मा को भारतीय सिनेमा में एक साहसी औरनवाचारी निर्देशक के रूप में पहचान मिली। कॉलेज राजनीति, हिंसा और युवा विद्रोह पर आधारित शिवा ने भारतीय एक्शन सिनेमा में एक नयाअध्याय खोला और आज भी यह फिल्म अपने स्टाइल और संदेश के लिए प्रासंगिक बनी हुई है।

इस पुनर्मिलन के दौरान, अर्जुन रेड्डी और एनिमल जैसे गहन और तीव्र फिल्मों के निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने अपनी कहानी कहने की शैली पर शिवा केप्रभाव को स्वीकार किया। तीनों फिल्मकारों के बीच यह बातचीत पीढ़ियों के बीच एक रचनात्मक संवाद का प्रतीक थी—जहाँ वर्मा ने 80 के दशक मेंसिनेमा को नया आयाम दिया, वहीं वांगा आज उसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

जैसे-जैसे शिवा के 4K संस्करण की रिलीज़ नज़दीक आ रही है, प्रशंसक nostalgia में डूबे हुए हैं। यह फिल्म न केवल अपने समय का प्रतिनिधित्वकरती है बल्कि आज भी नई पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं को प्रेरित करती है। यह मुलाकात उस सिनेमा की आत्मा को सलाम है जिसने भारतीय फिल्मोंमें यथार्थवाद और जुनून का नया युग शुरू किया था।


प्रशांत महासागर में आया 6.1 तीव्रता का भूकंप, 10 किलोमीटर गहराई में था केन्द्र

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Posted On:Monday, November 10, 2025

सोमवार को उत्तरी प्रशांत महासागर में 6.1 तीव्रता का एक मध्यम-शक्ति वाला भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने एक बयान जारी कर इस भूकंप की पुष्टि की। एनसीएस के अनुसार, भूकंप का यह झटका भारतीय समयानुसार (IST) 12:53:18 पर महसूस किया गया, जिसका केंद्र (अक्षांश $39.64^{\circ}$ उत्तर और देशांतर $143.51^{\circ}$ पूर्व) पर स्थित था।

भूकंप की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी उथली गहराई थी, जिसे मात्र 10 किलोमीटर मापा गया। यह उथला केंद्र भविष्य में झटकों (Aftershocks) की आशंका को बढ़ाता है और सतह पर इसके प्रभाव को और अधिक खतरनाक बनाता है।

उथले भूकंप क्यों होते हैं अधिक खतरनाक?

भूकंप की गहराई, सतह पर होने वाले कंपन और क्षति की मात्रा को सीधे प्रभावित करती है।

  • उथले भूकंप (Shallow Earthquakes): जो भूकंप पृथ्वी की सतह के पास आते हैं (जैसे कि यह 10 किलोमीटर की गहराई पर आया), वे सतह पर आते समय कम ऊर्जा खोते हैं। इसका परिणाम होता है अधिक जमीन कंपन और इसलिए अधिक क्षति।

  • गहरे भूकंप (Deep Earthquakes): गहरे भूकंप सतह तक पहुंचने से पहले काफी ऊर्जा खो देते हैं, जिससे सतह पर कंपन कम होता है और उनसे क्षति भी कम होती है।

दुनिया के 90% भूकंप 'रिंग ऑफ फायर' में आते हैं

उत्तरी प्रशांत महासागर में आया यह भूकंप दुनिया की सबसे सक्रिय भूकंपीय पट्टी, जिसे 'रिंग ऑफ फायर' (Ring of Fire) कहा जाता है, की सक्रियता को दर्शाता है। यह पट्टी प्रशांत महासागर के चारों ओर किनारे-किनारे स्थित है।

Image of the Pacific Ring of Fire showing tectonic plates
Getty Images

  • दायरा और आकार: यूएसजीएस के अनुसार, यह बेल्ट लगभग 40,000 किलोमीटर (25,000 मील) लंबी और लगभग 500 किलोमीटर (310 मील) चौड़ी है।

  • भूकंपों की आवृत्ति: अनुमान है कि दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत भूकंप इसी 'रिंग ऑफ फायर' के आसपास आते हैं।

  • बड़े भूकंपों का केंद्र: इस बेल्ट की विनाशकारी क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के लगभग 81 प्रतिशत सबसे बड़े भूकंप इसी क्षेत्र में दर्ज किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • M9.5 चिली भूकंप (वाल्डिविया भूकंप 1960)

    • M9.2 अलास्का भूकंप (1964)

प्लेट टेक्टोनिक्स और रिंग ऑफ फायर का निर्माण

'रिंग ऑ फायर' टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं के साथ स्थित है। यहाँ होने वाले अधिकांश भूकंपों का कारण अवक्षेपण (Subduction) की प्रक्रिया है।

  • अवक्षेपण क्षेत्र (Subduction Zones): यह वह प्रक्रिया है जहाँ आमतौर पर महासागरीय क्रस्ट की एक प्लेट, घनत्व में अधिक होने के कारण, दूसरी कम घनी प्लेट (अक्सर महाद्वीपीय क्रस्ट) के नीचे धंस जाती है।

  • भूकंप की उत्पत्ति: इन अवक्षेपण क्षेत्रों में, दो प्लेटों के बीच घर्षण (Sliding) और प्लेटों के भीतर उत्पन्न होने वाली दरारों (Fractures) के कारण ऊर्जा जमा होती है और अचानक रिलीज़ होती है, जिससे भूकंप आते हैं।

भूकंपीय डेटा के अनुसार, अनुमान लगाया गया है कि दुनिया में हर साल लगभग 500,000 पता लगाने योग्य भूकंप आते हैं, जिनमें से 100,000 महसूस किए जा सकते हैं। उत्तरी प्रशांत महासागर में आया 6.1 तीव्रता का यह नवीनतम झटका, 'रिंग ऑफ फायर' की निरंतर और शक्तिशाली भूगर्भीय गतिविधियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है।


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