बेंगलुरु का कुख्यात ट्रैफिक जाम एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार इसका शिकार कोई आम नागरिक नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद बन गए। उत्तर प्रदेश के घोसी से सांसद राजीव राय संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल होने के लिए दिल्ली जाने वाली अपनी निर्धारित उड़ान से ठीक पहले, शहर की सड़कों पर घंटों तक फंसे रहे। फ्लाइट छूटने के डर से घबराए सांसद ने सोशल मीडिया पर अपनी निराशा व्यक्त की और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर निशाना साधा।
ट्रैफिक पुलिस पर गंभीर आरोप
सांसद राजीव राय ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए दावा किया कि वह भारी ट्रैफिक जाम को संभालने के लिए 'सड़क पर एक भी ट्रैफिक पुलिस वाला नहीं था'। उन्होंने बेंगलुरु पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन आरोप लगाया कि उनके कॉल का जवाब नहीं मिला।
गुस्साए सांसद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा:
"कर्नाटक के माननीय मुख्यमंत्री, मुझे माफ करना। लेकिन, आपके पास सबसे खराब ट्रैफ़िक मैनेजमेंट है। यह सबसे गैर-जिम्मेदार, बेकार ट्रैफिक पुलिस है। ये सब फोन कॉल भी नहीं उठाते, मैंने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उनमें से किसी ने मेरा फ़ोन नहीं उठाया।"
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु शहर ने 'बदनाम ट्रैफिक के लिए नाम कमाया है', और इसके लिए सीधे तौर पर ट्रैफिक पुलिस को 'बेकार और गैर-ज़िम्मेदार' बताया।
राजनीतिक वादों के बावजूद बदहाली
बेंगलुरु को अक्सर ग्लोबल इंडेक्स में ट्रैफिक के मामले में दुनिया के सबसे धीमे शहरों में शुमार किया जाता है। राजनीतिक वादों और शहरी विकास की बड़ी योजनाओं के बावजूद, यह शहर लगातार जाम की समस्या से जूझ रहा है।
सांसद राजीव राय की यह घटना इस बात को दर्शाती है कि यह समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, क्योंकि अब यह केवल आम जनता को ही नहीं, बल्कि बड़े नेताओं और निर्णय लेने वालों को भी प्रभावित कर रही है।
पहले भी हो चुकी है आलोचना
बेंगलुरु के बिगड़ते ट्रैफिक और इंफ्रास्ट्रक्चर की आलोचना पहले भी कई प्रमुख हस्तियों द्वारा की जा चुकी है:
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एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने एक पब्लिक इवेंट में मज़ाक करते हुए कहा था कि "अंतरिक्ष में घूमना बेंगलुरू ट्रैफिक से निपटने से कहीं ज्यादा आसान है।"
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प्रसिद्ध एंटरप्रेन्योर किरण मजूमदार शॉ ने भी बिगड़ते इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रिडलॉक की ओर इशारा करते हुए सरकार पर निशाना साधा था।
सांसद राजीव राय का सार्वजनिक गुस्सा एक बार फिर से इस बात को सामने लाता है कि इस आईटी हब में ट्रैफिक जाम अब केवल असुविधा का विषय नहीं, बल्कि एक गंभीर शासन और प्रशासन की समस्या बन चुका है, जो शहर की कार्यप्रणाली और प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।