कानपुर न्यूज डेस्क: भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिलाध्यक्ष राधेश्याम मौर्य के नेतृत्व में बुधवार को कानपुर के नरवल तहसील में किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। किसान आंदोलन की पांचवीं वर्षगांठ पर सैकड़ों किसान जुटे और राष्ट्रपति को संबोधित दस सूत्रीय ज्ञापन नायब तहसीलदार आशीष पटेल को सौंपा। इस दौरान किसानों ने अपनी पुरानी मांगों पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई।
किसानों की बड़ी मांगों में सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी शामिल थी। उन्होंने कहा कि एमएसपी ‘सी2 प्लस 50%’ फार्मूले के आधार पर तय की जाए और इस पर संसद व सभी राज्यों की विधानसभाओं में कानून तुरंत पारित हो। साथ ही किसान और कृषि मजदूरों के लिए ऋण माफी योजना लागू करने की मांग भी उठाई गई। बिजली बिल 2025 वापस लेने और बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने की भी मांग प्रमुख रही।
किसानों ने हाल ही में अधिसूचित चार श्रम संहिताओं को वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को रोकने और मनरेगा का बजट बढ़ाने की मांग की। उनका कहना था कि मनरेगा में 200 दिन का काम और 700 रुपये की दैनिक मजदूरी तय की जाए। इसके अलावा उर्वरक सब्सिडी को 84 हजार करोड़ पर बहाल करने, डीएपी व यूरिया की उपलब्धता बढ़ाने और कालाबाजारी पर सख्ती से रोक लगाने की मांग भी रखी गई।
ज्ञापन में देश पर 50% अमेरिकी शुल्क को संप्रभुता पर हमला बताते हुए सख्त प्रतिकारी कार्रवाई की मांग शामिल थी। किसानों ने बाढ़ व भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने, जनता पर बुलडोजर राज खत्म करने और राज्यों के संघीय अधिकारों की रक्षा की अपील की। उन्होंने कहा कि विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी 31% से बढ़ाकर 60% की जानी चाहिए, तभी मजबूत राज्यों से मजबूत भारत का निर्माण संभव है।