कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर में शिया समुदाय की ओर से कुरान का पहला हिंदी अनुवाद जारी किया गया। बुधवार को जश्न-ए-अहलेबैत के मौके पर सावित्रीनगर, रामादेवी में आयोजित कार्यक्रम में इसका विमोचन किया गया। अलीगढ़ के मौलाना शाहिद हुसैन मीसम ने इस अनुवाद को तैयार किया है, जिसमें उन्हें 10 साल लगे। मौलाना हाफिज बाकरी ने बताया कि यह अनुवाद अरबी से सरल हिंदी में किया गया है, जिससे आम लोग इसे आसानी से समझ सकें।
इमामिया यूथ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा प्रकाशित इस अनुवाद में कठिन अरबी शब्दों की सरल व्याख्या दी गई है, ताकि पहली बार कुरान पढ़ने वाले भी इसे बिना किसी कठिनाई के समझ सकें। अनुवाद में विज्ञान और आधुनिक शोध से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलू भी शामिल किए गए हैं, जिससे यह वर्तमान समय के अनुसार भी प्रासंगिक बना रहे।
कार्यक्रम में कानपुर शिया उलमा बोर्ड का गठन भी किया गया, जिसमें मौलाना नसीम अब्बास हसनी को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बोर्ड का उद्देश्य आपसी मतभेदों को दूर करना, सभी समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करना और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में सहयोग देना रहेगा। वक्ताओं ने बोर्ड के सामाजिक कार्यों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की।
बोर्ड के अन्य पदाधिकारियों में उपाध्यक्ष मौलाना अजहर अब्बास नकवी, सचिव मौलाना अलमदार हुसैन, कोषाध्यक्ष मौलाना हामिद हुसैन, सहायक कोषाध्यक्ष मौलाना फाजिल हुसैन और मीडिया समन्वयक मौलाना हाफिज शाहिद बाकरी को बनाया गया है। इसके अलावा, मौलाना कंबर हुसैन, मौलाना मोहम्मद हैदर और लखनऊ के मौलाना शमसुल हसन भी बोर्ड के सदस्य हैं। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब शिया समुदाय की ओर से कुरान का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।