मुंबई, 28 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक्सियम मिशन 4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से वीडियो कॉल के जरिए संवाद किया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने शाम 5 बजकर 49 मिनट पर इस ऐतिहासिक बातचीत का वीडियो जारी किया, जो लगभग 18 मिनट तक चली। बातचीत की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से गर्मजोशी से कहा कि भले ही वे इस वक्त धरती से बहुत दूर हों, लेकिन देशवासियों के दिलों के बेहद करीब हैं। उन्होंने शुभांशु के नाम और मिशन दोनों को शुभ शुरुआत बताते हुए कहा कि उनकी आवाज में 140 करोड़ भारतीयों की भावना, उमंग और उत्साह शामिल है। पीएम ने शुभांशु को अंतरिक्ष में भारतीय तिरंगा फहराने के लिए बधाई दी और उनका हालचाल पूछा। इस पर शुभांशु शुक्ला ने देशवासियों की शुभकामनाओं और समर्थन के लिए आभार जताते हुए कहा कि वे वहां पूरी तरह सुरक्षित हैं और खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल उनकी नहीं बल्कि पूरे भारत की यात्रा है, और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज का भारत हर सपने को साकार करने के लिए अवसर प्रदान कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने जब उनसे पूछा कि वे जो गाजर का हलवा लेकर गए थे, क्या उन्होंने अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों को भी खिलाया, तो शुभांशु ने मुस्कराते हुए बताया कि वे गाजर और मूंग दाल का हलवा साथ ले गए थे ताकि बाकी देशों के अंतरिक्ष यात्री भी भारत के समृद्ध स्वाद का आनंद ले सकें, और उन्होंने सभी के साथ बैठकर यह मिठाई साझा की। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने जानना चाहा कि अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखकर उनका पहला विचार क्या था। शुभांशु ने बताया कि सबसे पहले जब उन्होंने धरती को देखा, तो उन्हें एहसास हुआ कि पृथ्वी पर कोई सीमाएं नहीं हैं। भारत उन्हें अत्यंत भव्य और विशाल दिखाई दिया और यह भी समझ आया कि विविधता में एकता ही धरती की असली पहचान है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब वर्तमान स्थिति और अंतरिक्ष की चुनौतियों के बारे में पूछा, तो शुभांशु ने बताया कि वे इस अनुभव के लिए पूरी ट्रेनिंग लेकर गए थे, लेकिन वहां पहुंचकर स्थितियां बिल्कुल अलग हैं। उन्होंने कहा कि वहां माइक्रो ग्रैविटी है, हर छोटी चीज मायने रखती है और बात करते समय भी उन्हें अपने पैरों को बांधकर रखना पड़ता है। शुभांशु शुक्ला 26 जून को शाम 4 बजकर 1 मिनट पर ISS पहुंचे थे। वे 28 घंटे की यात्रा के बाद वहां पहुंचे और भारत से 41 साल बाद अंतरिक्ष जाने वाले पहले व्यक्ति बने। वे एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर 12 बजे स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से ड्रैगन कैप्सूल में फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुए थे। यह मिशन तकनीकी और मौसम संबंधी कारणों से छह बार टल चुका था। ISS पर शुभांशु कुल 14 दिन रहेंगे और 12 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से 7 भारत के शिक्षण संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए हैं। इनमें मानव स्वास्थ्य और जैविक प्रभावों की स्टडी शामिल है। वहीं, 5 प्रयोग NASA के साथ मिलकर किए जाएंगे, जो भविष्य के दीर्घकालिक मिशनों और भारत के गगनयान मिशन के लिए डेटा प्रदान करेंगे।
शुभांशु ने स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद कहा था कि यह उनकी किस्मत है कि उन्हें पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने का मौका मिला। उन्होंने स्वीकार किया कि वहां खड़े होना आसान लग सकता है, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआत में उन्हें थोड़ी परेशानी हुई थी, लेकिन अब वे वहां की परिस्थितियों में धीरे-धीरे ढल रहे हैं। उन्होंने खुद को एक बच्चे की तरह बताया, जो हर चीज को नए सिरे से सीख रहा है—चाहे वह चलना हो, खाना हो या खुद को नियंत्रित करना। अपने संदेश में शुभांशु ने सभी वैज्ञानिकों, टेक्नीशियन, परिवार और दोस्तों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह केवल उनकी नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति की सामूहिक उपलब्धि है, जो इस मिशन का हिस्सा रहा है। साथ ही उन्होंने जोय और ग्रेस नाम के प्रतीक हंस का भी उल्लेख किया, जिसे उन्होंने बुद्धिमत्ता और भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में साझा किया। अंतरिक्ष से भेजे अपने संदेश में उन्होंने यह भी कहा कि गलतियां करना सीखने का हिस्सा है, लेकिन जब कोई और गलती करता है, तो सीखना और भी रोचक हो जाता है। उन्होंने पूरे अनुभव को बेहद रोमांचक और आनंददायक बताया।