मुंबई, 09 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कॉर्निया प्रत्यारोपण की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की गई है जहां केरल के एक आई बैंक से डोनेशन में मिले एक ही कॉर्निया के दो हिस्सों का उपयोग कर दो अलग-अलग मरीजों की आंखों की रोशनी लौटाई गई। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार यह भोपाल में अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें डेसेमेट मेम्ब्रेन एंडोथेलियल केराटोप्लास्टी तकनीक यानी DMEK सर्जरी के जरिए दो जीवन बदले गए। इस उन्नत सर्जरी के माध्यम से कॉर्निया की दो अलग-अलग परतों का अलग-अलग मरीजों में प्रत्यारोपण कर उन्हें देखने की शक्ति प्रदान की गई। इस सर्जरी में कॉर्निया के एक हिस्से का उपयोग शहर के एक निजी अस्पताल में किया गया जबकि दूसरा हिस्सा बीएमएचआरसी में भर्ती 66 वर्षीय गैस पीड़ित मरीज की आंख में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया। मरीज पहले एक असफल मोतियाबिंद ऑपरेशन के कारण दृष्टिहीन हो गया था और कॉर्नियल एंडोथेलियल फेल्योर की स्थिति से जूझ रहा था। यह बीमारी आंख की सबसे अंदरूनी परत को प्रभावित करती है जिससे व्यक्ति को धुंधला दिखने लगता है।
DMEK तकनीक की खासियत यह है कि इसमें केवल क्षतिग्रस्त परत को हटाकर डोनर की स्वस्थ परत को प्रत्यारोपित किया जाता है और यह प्रक्रिया बिना टांकों के पूरी होती है जिससे मरीज की दृष्टि जल्दी लौटती है। यह एक सूक्ष्म और अत्याधुनिक तकनीक है जिसे बीएमएचआरसी के नेत्र रोग विभाग में डॉ. प्रतीक गुजर और डॉ. हेमलता यादव की देखरेख में किया गया। इस सर्जरी के लिए डोनर के ऊतक की गुणवत्ता बेहतरीन होना जरूरी होता है और दोनों मरीजों की आंखों की स्थिति भी अलग-अलग होनी चाहिए। अस्पताल की निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते अब एक नेत्रदान से दो लोगों की दृष्टि बहाल करना संभव हो गया है जिससे जीवन की दिशा ही बदल सकती है।