कानपुर न्यूज डेस्क: जिले में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज के बनने के बावजूद यहां बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। करोड़ों रुपये के उपकरण बेकार पड़े हैं, और जिला अस्पताल महज एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है। मेडिकल कॉलेज से जुड़े होने के बाद डॉक्टरों की संख्या बढ़ गई है—अब यहां 17 पुराने डॉक्टरों के अलावा 41 जूनियर रेजिडेंट, 16 सीनियर रेजिडेंट, और 26 प्रोफेसर हैं। इसके बावजूद अस्पताल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
कोरोना के दौरान मिले 26 वेंटिलेटर में से 10 पीकू में और 10 ट्रामा सेंटर के अस्थायी कोविड अस्पताल में लगे हैं, जबकि 4 अस्थायी आईसीयू में हैं। दो वेंटिलेटर अभी भी स्टोर में पड़े हैं। जिला महिला अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट काम कर रहा है, लेकिन ट्रामा सेंटर का ऑक्सीजन प्लांट केवल शो पीस बनकर रह गया है। इस कारण गंभीर मरीजों को सांस लेने में, मस्तिष्क की चोट, फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी, या विषाक्त पदार्थों से इलाज में समस्याएं आ रही हैं, और जिला अस्पताल केवल रेफर सेंटर बनकर रह गया है।
जिम्मेदारों का दावा है कि मेडिकल कॉलेज को काम करने की मंजूरी मिल गई है और इस सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसके चलते, जिले के मरीजों को इन उपकरणों और नए संसाधनों से फायदा होगा।