कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर के राजस्व विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। कानपुर के कानूनगो आलोक दुबे पर आरोप है कि उसने अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की। जांच में खुलासा हुआ कि दुबे ने विवादित जमीनों पर वारासत दर्ज कर बैनामा किया और उनमें से एक जमीन को निजी कंपनी को बेच भी दिया। इसके बाद योगी सरकार ने उसे कानूनगो से डिमोट कर लेखपाल बना दिया और मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई शुरू की।
जांच में यह भी पता चला कि आलोक दुबे, उसकी पत्नी और बच्चों के नाम पर कानपुर, दिल्ली और नोएडा में 50 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, उसने रिंग रोड परियोजना की जानकारी पहले ही पाकर आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर जमीन खरीद-फरोख्त की और करीब 56 संपत्तियों में निवेश किया। विभागीय जांच में चार गंभीर आरोप तय किए गए और सुनवाई के बाद उसे डिमोट किया गया।
मामले में अन्य राजस्व कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। विशेष रूप से क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी का नाम जांच में सामने आया है। प्रशासन ने साफ किया है कि अगर जांच में उनकी संलिप्तता पाई जाती है, तो उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। डीएम ने कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारी जनता के अधिकार और जमीन की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ा संदेश देना जरूरी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आलोक दुबे सिर्फ सरकारी अधिकारी ही नहीं, बल्कि जमीन कारोबारियों के लिए ‘सेटिंग मास्टर’ बन चुका था। आरोप है कि वह माफिया को पहले से जानकारी देता था कि किस इलाके में सड़क या रिंग रोड की योजना बन रही है, जिससे माफिया वहां जमीन खरीदकर करोड़ों कमाते थे और बदले में दुबे को हिस्सा मिलता था।