कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर में सोमवार को हुई एक दिल छू लेने वाली घटना ने यह साबित कर दिया कि प्रशासन सिर्फ कानून नहीं, इंसानियत भी निभा सकता है। जनता दरबार में 62 वर्षीय पूनम शर्मा नाम की बुजुर्ग महिला रोते हुए जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के पास पहुंचीं। कांपती आवाज़ में उन्होंने बताया कि बेटे और बहू ने उन्हें घर से निकाल दिया है और उनका मोबाइल, पासबुक, व अन्य जरूरी दस्तावेज छीन लिए हैं। डीएम साहब ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत महिला को संभाला, पानी और चाय पिलाई, और मामले को व्यक्तिगत रूप से सुलझाने का निर्णय लिया।
बिना देर किए डीएम ने बेटे को बुलवाया और सख्त फटकार लगाई। उन्होंने कहा—"मां-बेटे का रिश्ता सबसे पवित्र होता है, और अगर इसमें दरार आ गई है, तो उसे भरना तुम्हारी जिम्मेदारी है।" इसके बाद डीएम ने मां-बेटे की काउंसलिंग शुरू की, दोनों की बातें सुनीं और समझाने-बुझाने की कोशिश की। लगभग दो घंटे की बातचीत के बाद माहौल भावुक हो गया जब बेटा अपनी मां के पैरों पर गिरकर माफी मांगने लगा। मां ने उसे गले लगा लिया और दोनों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
डीएम साहब ने सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहे, बल्कि अगले दिन खुद फोन कर पूनम शर्मा का हालचाल भी पूछा। महिला की आवाज में सुकून था—उन्होंने कहा, “जिस मां के पास कानपुर डीएम जैसा बेटा हो, उसे कोई दुख नहीं रह सकता।” इस एक कॉल ने दिखा दिया कि प्रशासन का काम सिर्फ शिकायतें सुनना नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ना भी है।
यह घटना अब कानपुर में चर्चा का विषय बन गई है। लोग जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण की तारीफ कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसा किया हो — कभी बुजुर्ग को कानों की मशीन दिलाई, कभी किसी छात्र के साथ बर्तन धोए, तो कभी अपनी गाड़ी से जरूरतमंद को उसके घर तक छोड़ा। पूनम शर्मा की कहानी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर इंसानियत जिंदा हो, तो टूटा रिश्ता भी दो घंटे में जुड़ सकता है।