कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर में दीपोत्सव महापर्व के बाद गंगा घाटों पर गंदगी ने श्रद्धा और स्वच्छता के बीच खाई खोल दी है। घाटों के किनारे हजारों खंडित और पुरानी मूर्तियां फूल मालाओं के साथ फेंकी गई हैं, जिन्हें कुत्ते और बंदर इधर-उधर फैलाकर गंगा तट को कचरे के ढेर में बदल रहे हैं। वहीं, पॉलिथीन में रखे फूल सड़ने लगे हैं, जिससे दुर्गंध और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
महाराजपुर थाना क्षेत्र के ड्योढ़ी घाट, नजफगढ़ घाट और नागापुर गंगा घाट किनारे मूर्तियों का असम्मानजनक ढंग से फेंकना देखा गया है। प्रशासन घाटों की सफाई और गंगा स्वच्छता के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है, लेकिन कुछ श्रद्धालु भूमि विसर्जन की परंपरा को दरकिनार कर मूर्तियों को खुले में छोड़ रहे हैं। इससे न केवल मां गंगा की पवित्रता पर असर पड़ रहा है, बल्कि धार्मिक भावनाएं भी ठेस पहुंच रही हैं।
घाटों पर बिखरी टूटी मूर्तियां पर्यावरणीय संकट को भी बढ़ा रही हैं। सड़ने वाले फूल और कचरे से जल में संक्रमण का खतरा पैदा हो रहा है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशासन से आग्रह कर रहे हैं कि मूर्तियों के सम्मानजनक विसर्जन के लिए विशेष व्यवस्था की जाए और दीपोत्सव जैसे आयोजनों के बाद घाटों की सफाई को प्राथमिकता दी जाए।
ऐसा करने से मां गंगा की पवित्रता बनी रहेगी और श्रद्धा के साथ स्वच्छता का संतुलन भी कायम रहेगा।