कानपुर न्यूज डेस्क: ग्लोबल मोबिलिटी कंपनी एल्सटॉम ने कानपुर मेट्रो कॉरिडोर-1 के विस्तारित हिस्से की सेवा शुरू होने का जश्न मनाया। इस नए हिस्से में पांच भूमिगत स्टेशन जोड़े गए हैं, जिससे अब शहर के और भी इलाकों तक मेट्रो से सफर आसान, सुरक्षित और सुविधाजनक हो गया है। खास बात ये है कि यह पूरा मेट्रो नेटवर्क भारत में ही तैयार किया गया है और इसमें एडवांस कम्युनिकेशन-बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (CBTC) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे ट्रेनें ऑटोमैटिक तरीके से संचालित होती हैं। यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूती देता है।
एल्सटॉम आगरा और कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कुल 201 मेट्रो कोच (67 तीन डिब्बों वाली ट्रेन सेट्स) तैयार कर रहा है, जिनमें से 40 ट्रेनें अब तक कानपुर मेट्रो में शामिल हो चुकी हैं। इन ट्रेनों का निर्माण गुजरात के सावली स्थित एल्सटॉम प्लांट में हुआ है, जबकि इनका डिज़ाइन हैदराबाद में और सिग्नलिंग सिस्टम गुरुग्राम और बैंकॉक की टीमों ने मिलकर तैयार किया है। हर ट्रेन में एक बार में करीब 960 यात्री सफर कर सकते हैं, जिससे यह शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को और भी ज्यादा मजबूत बनाती है।
एल्सटॉम इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ओलिवियर लोइज़ॉन ने कहा कि यूपीएमआरसी के साथ मिलकर हमने कानपुर में टिकाऊ और आधुनिक परिवहन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मेट्रो को तकनीकी रूप से जहां अत्याधुनिक बनाया गया है, वहीं इसके इंटीरियर और डिजाइन में उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान भी झलकती है। एयर कंडीशंड कोच, ऑटोमैटिक स्लाइडिंग दरवाजे, दिव्यांगजनों के लिए खास जगह और डिजिटल पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम यात्रियों को एक प्रीमियम सफर का अनुभव कराते हैं।
ये ट्रेनें स्टेनलेस स्टील से बनी हैं और 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक चल सकती हैं। इनमें फ्लेक्स बोगी, माइट्रैक प्रोपल्शन सिस्टम और सीबीटीसी तकनीक जैसे फीचर्स शामिल हैं, जो न सिर्फ एनर्जी सेविंग में मदद करते हैं बल्कि ऑपरेशन कॉस्ट भी घटाते हैं। एल्सटॉम को इस टेक्नोलॉजी में 30 साल का अनुभव है और यह दुनियाभर के 32 देशों में 190 से ज्यादा मेट्रो नेटवर्क पर काम कर चुका है। भारत में एल्सटॉम छह इंडस्ट्रियल साइट्स और चार इंजीनियरिंग सेंटर्स के ज़रिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रेल प्रोजेक्ट्स में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।