कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर और लखनऊ की सड़कों पर अब निजी ई-बसें दौड़ने जा रही हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई। दोनों शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत नेट कास्ट कॉन्ट्रैक्ट (एनसीसी) मॉडल पर ई-बसों का संचालन होगा। खास बात यह है कि 12 साल के लिए निजी संचालकों को लाइसेंस दिया जाएगा, ताकि योजना लंबे समय तक चल सके।
नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि इस मॉडल में सरकार निजी कंपनियों को बस सेवा का लाइसेंस देगी, लेकिन मार्ग सरकार तय करेगी। किराया वही होगा, जो पहले से सिटी बसों के लिए निर्धारित है। चार्जिंग प्वॉइंट और पार्किंग के लिए सरकार जगह देगी, जबकि चार्जिंग और रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी संचालक की होगी। ड्राइवर और कंडक्टर की व्यवस्था भी निजी संचालक को करनी होगी।
योजना के अनुसार, लखनऊ और कानपुर में 10-10 मार्ग तय किए गए हैं। शुरुआत एक-एक बस से होगी, लेकिन धीरे-धीरे बसों की संख्या बढ़ाकर 200 तक पहुंचाई जाएगी। हर बस नौ मीटर लंबी होगी, जिसमें 28 सीटें और 13 खड़े यात्रियों की क्षमता होगी। ई-बसों के संचालन में करीब 10.30 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसमें 9.50 करोड़ रुपये बसों की खरीद और करीब 80 लाख रुपये चार्जिंग उपकरण पर खर्च होंगे।
शर्तों के मुताबिक, एक मार्ग पर सिर्फ एक ही निजी संचालक बसें चलाएगा। अनुबंध के 90 दिन के भीतर ई-बस का प्रोटोटाइप देना होगा और सरकार उसकी समीक्षा करेगी। इसके बाद बसों की आपूर्ति और संचालन शुरू होगा। एक साल के भीतर बसें सड़क पर उतरने लगेंगी। वर्तमान में प्रदेश के 15 नगर निगमों में पहले से 743 ई-बसें चल रही हैं, जिनमें से 700 जीसीसी मोड पर हैं। नए मॉडल के जरिए सरकार निजी क्षेत्र की भागीदारी और मजबूत करना चाहती है।