कानपुर न्यूज डेस्क: पिछले एक हफ्ते से पूर्वी उत्तर भारत में सक्रिय चक्रवातीय सिस्टम ने बुधवार रात कानपुर में दस्तक दी और अचानक मौसम का रुख ही बदल गया। रात करीब 12 बजे के बाद डेढ़ घंटे तक 53 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और 24.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। यह बारिश गर्मी और नमी से भरी हवाओं के मिलन से हुई, जिससे किसानों को राहत मिली है। गेहूं की कटाई के बाद खाली पड़े खेतों की जोताई अब आसानी से की जा सकेगी।
मौसम विभाग के अनुसार यह चक्रवात अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आई नम हवाओं के टकराव का परिणाम था। अरब सागर से चल रही हवा राजस्थान होकर आगरा, मैनपुरी, कन्नौज होते हुए कानपुर पहुंची, जबकि बंगाल की खाड़ी से आई हवा बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी से गुजरती हुई हिमालय की तलहटी तक पहुंची। इन दोनों धाराओं के टकराने से कानपुर के आसपास कम दबाव क्षेत्र बना और अचानक तेज आंधी और बारिश शुरू हो गई।
सीएसए के मौसम केंद्र और एयरफोर्स स्टेशन पर क्रमशः 24.2 और 31.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि अन्य जिलों में बारिश की मात्रा कम रही। इटावा, उन्नाव, औरैया और कानपुर देहात जैसे इलाकों में केवल 5 से 7 मिमी के बीच पानी गिरा। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक यह सिस्टम अब कमजोर हो चुका है, और आने वाले दो-तीन दिनों तक मौसम में हल्की नमी और गर्मी बनी रहेगी, लेकिन अब किसी चक्रवाती तूफान की संभावना नहीं है।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बारिश किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। उड़द और मूंग जैसी फसलों को अब सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी और जो खेत खाली हैं, उनकी जोताई करके खरपतवार और कीटों को नष्ट किया जा सकेगा। साथ ही तापमान में भी भारी गिरावट आई है—22 मई को अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री और न्यूनतम 20.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से काफी कम है।