कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर देहात में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भीतर गुटबाजी अब खुलकर सामने आ गई है। यही कारण है कि मामला लखनऊ तक पहुंच गया और पार्टी को सख्ती दिखानी पड़ी। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के निर्देश पर पार्टी महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल ने दो पूर्व जिलाध्यक्षों—मनोज शुक्ला, राजेश तिवारी—और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
नोटिस में साफ लिखा गया है कि तीनों नेताओं की गतिविधियां पार्टी अनुशासन के खिलाफ हैं और इससे संगठन की छवि धूमिल हो रही है। उन्हें 7 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है, वरना कार्रवाई तय मानी जाएगी। खास बात यह है कि अनिल शुक्ला वारसी, योगी सरकार में राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति हैं।
दरअसल, मनोज शुक्ला और राजेश तिवारी ने हाल ही में अकबरपुर के एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी नेताओं पर ही निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि सत्ता में आने के बाद दूसरे दलों से आए नेता मठाधीश बन गए हैं और भाजपा को व्यक्तिगत हित साधने का जरिया बना लिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने चार विधायकों पर भ्रष्टाचार और अवसरवादिता के गंभीर आरोप भी लगाए।
इसी बीच, 24 जुलाई को अनिल शुक्ला वारसी ने कानपुर देहात के कोतवाली में छह घंटे का धरना दिया था। उन्होंने कोतवाली प्रभारी पर भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करने का आरोप लगाया था। इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन में भी हलचल मच गई थी। यही वजह है कि अनुशासनहीनता मानते हुए पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी किया है।