कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर से जुड़ा हाईप्रोफाइल प्रशासनिक विवाद आखिरकार सुलझ गया है। लंबे समय से डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी के बीच चल रही तनातनी के बाद शनिवार को सरकार ने डॉ. नेमी को सस्पेंड कर दिया। इस कदम के साथ फरवरी से जारी दोनों अफसरों की खींचतान का अंत हो गया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने न सिर्फ निलंबन आदेश जारी किया, बल्कि डॉ. नेमी के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश भी दे दिए।
यह मामला सिर्फ दो अधिकारियों के बीच का विवाद नहीं था, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका था। बीजेपी के सात में से पांच विधायक डीएम के समर्थन में थे, जबकि दो विधायक सीएमओ के पक्ष में खड़े नजर आए। विपक्षी दल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस विवाद पर तंज कसते हुए इसे सीएम और डिप्टी सीएम का झगड़ा बताया था। मामला इतना तूल पकड़ गया कि ब्यूरोक्रेसी के इस टकराव की गूंज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गई थी, जिसके बाद कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही थी।
डॉ. हरी दत्त नेमी की जगह अब श्रावस्ती के एसीएमओ डॉ. उदयनाथ को कानपुर का नया सीएमओ नियुक्त किया गया है। सस्पेंड किए जाने के बाद डॉ. नेमी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा और डीएम पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि जब उन्होंने एक सपा समर्थक डॉक्टर का ट्रांसफर रद्द करने से इनकार किया, तो डीएम ने उनके जातिगत अपमान के साथ-साथ वसूली के लिए दबाव बनाया।
विभाग ने निलंबन के पीछे तीन ठोस कारण बताए हैं। पहला, सीएमओ ने भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा विज्ञापन एनएचएम यूपी की वेबसाइट पर नहीं प्रकाशित किया। दूसरा, आयुष परीक्षा के इंटरव्यू परिणाम को समय पर नहीं भेजा गया। तीसरा, वित्त अधिकारी को उनके पदेन कार्यों से हटाकर गैर-वित्त अधिकारी से कार्य कराया गया। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने नेमी के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि इस तरह की बयानबाजी घोर अनुशासनहीनता है और पूरे मामले की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।