कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर-लखनऊ रेलमार्ग पर सोमवार दोपहर दो से छह बजे तक नॉन-इंटरलॉकिंग और ट्रैक ऊंचीकरण कार्य के चलते चार घंटे का ब्लॉक लिया गया। इसका असर कानपुर सेंट्रल से गुजरने वाली ट्रेनों पर भी पड़ा। झांसी रूट की कई ट्रेनें गोविंदपुरी, भीमसेन और पामा स्टेशनों के यार्ड पर खड़ी रहीं, जबकि शताब्दी और तेजस एक्सप्रेस समेत चार ट्रेनों को लखनऊ-बालामऊ-उन्नाव के रास्ते घुमाकर लाया गया। इस वजह से तेजस एक्सप्रेस 6.5 घंटे और इंटरसिटी जैसी कई ट्रेनें तीन से सात घंटे लेट हुईं।
बारिश ने यात्रियों की परेशानी और बढ़ा दी। सुबह से दोपहर तक हुई झमाझम बारिश से सेंट्रल स्टेशन और पावर केबिन के बीच का ट्रैक जलमग्न हो गया। ट्रेनों को कॉशन देकर चलाया गया और 12 पंप लगाकर पानी निकासी कराई गई। वहीं, मालगोदाम परिसर भी तालाब बन गया, जिससे अनलोडिंग का काम ठप रहा। बारिश के चलते स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में जलभराव का फायदा उठाकर ई-रिक्शा व ऑटो चालकों ने मनमाना किराया वसूला—प्लेटफार्म तक पहुंचाने के 50 से 100 रुपये तक लिए गए।
लखनऊ रूट पर ट्रेन संचालन बाधित होने से चौतरफा रूट प्रभावित रहे। इस वजह से करीब 2,212 यात्रियों ने अपने टिकट रद्द करवा दिए। प्लेटफार्मों पर दिनभर ट्रेनों के इंतजार में यात्रियों की भीड़ लगी रही। तेजस, इंटरसिटी, वंदे भारत, चारबाग एक्सप्रेस और कई अन्य ट्रेनें घंटों देरी से पहुंचीं।
बारिश का असर बस सेवा पर भी पड़ा। झकरकटी बस अड्डा पानी से लबालब हो गया। सुबह पांच से दोपहर एक बजे तक केवल छह बसें ही रवाना हो सकीं, जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या करीब 200 होती है। दिनभर में मात्र पांच हजार यात्री ही बसों से सफर कर सके, जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या 15 हजार के आसपास होती है।