कानपुर न्यूज डेस्क: कभी सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर रहने वाला कानपुर अब स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में अपनी नई पहचान बना रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में कानपुर को पांचवां स्थान मिला है। खास बात यह है कि दिल्ली, मुंबई, जयपुर और पटना जैसे बड़े शहरों को पछाड़ते हुए कानपुर ने टॉप फाइव में जगह बनाई है। पिछले साल भी शहर पांचवें स्थान पर था, लेकिन इस बार उसे और बेहतर अंक हासिल हुए।
सर्वेक्षण में कानपुर को 192.2 अंक मिले हैं। इस श्रेणी में इंदौर पहले, जबलपुर दूसरे और आगरा व सूरत संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे। उत्तर प्रदेश का आगरा भी इस सूची में शामिल होकर तीसरा स्थान पाने में सफल रहा। औद्योगिक दबाव और बढ़ते वाहनों की चुनौती के बावजूद कानपुर का प्रदर्शन सकारात्मक माना जा रहा है।
बीते एक वर्ष में नगर निगम और प्रशासन ने कई स्तरों पर सुधारात्मक कदम उठाए। सड़कों पर मशीनों से सफाई कर धूल पर काबू पाया गया, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल को रोकने के लिए सख्ती की गई, पुराने कूड़े का निस्तारण किया गया और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को दुरुस्त किया गया। साथ ही, हरित पट्टियों और वाटिकाओं का विकास, ट्रैफिक नियंत्रण और उद्योगों में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने जैसे उपाय किए गए। इन पहलों का असर अब साफ दिखने लगा है।
इस बार आगरा ने तीसरा स्थान पाकर 25 लाख रुपये का पुरस्कार जीता। वहीं 3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों की श्रेणी में मुरादाबाद और झांसी संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे और दोनों को 25-25 लाख रुपये की राशि मिली। महाराष्ट्र का अमरावती पहले और राजस्थान का अलवर तीसरे स्थान पर रहा। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश के चार शहरों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। हालांकि प्रदूषण के स्थायी कारक — जैसे औद्योगिक धुआं और वाहनों की बढ़ती संख्या — अभी भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं।