कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर के एलएलआर अस्पताल की नेत्र रोग विभाग की टीम ने चेतावनी दी है कि पालतू कुत्ते और बिल्लियों के बहुत करीब रहने से आंखों की रोशनी को खतरा हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि इन जानवरों के शरीर में मौजूद सूक्ष्म कीट धीरे-धीरे इंसानों की आंखों में संक्रमण फैला सकते हैं और देखने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि पिछले तीन सालों में उन्होंने ऐसे 50 मरीजों का अध्ययन किया, जिनकी आंखों का “मैक्यूला” यानी देखने वाला मुख्य हिस्सा संक्रमित पाया गया।
डॉ. शालिनी के अनुसार, कुत्ते और बिल्लियों में पाए जाने वाले टॉक्सोपारा और टॉक्सोप्लाज्मा नामक संक्रमण आंखों में पहुंचकर वहां अंडे और लार्वा छोड़ते हैं। शुरूआत में हल्की खुजली, जलन या धुंधलापन दिखाई देता है, लेकिन धीरे-धीरे यह आंखों की रोशनी को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। अधिकतर प्रभावित मरीजों ने बताया कि वे अपने पालतू जानवरों को बहुत प्यार करते थे, उन्हें गोद में उठाते थे या बिस्तर पर सोने देते थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण से बचाव के लिए साफ-सफाई और सावधानी बेहद जरूरी है। पालतू जानवरों को नियमित रूप से साफ रखें, उनके शरीर पर कीड़े या संक्रमण दिखाई दें तो तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाएं। घर में उन्हें खाने की थाली या बिस्तर के पास न आने दें और उनके मल-मूत्र के लिए अलग स्थान तय करें।
डॉ. शालिनी ने कहा कि पालतू जानवरों से लगाव बुरा नहीं है, लेकिन जरूरत से ज्यादा नजदीकी खतरनाक साबित हो सकती है। आंखें बेहद संवेदनशील होती हैं और अगर संक्रमण समय पर नियंत्रित न किया जाए तो रोशनी स्थायी रूप से खत्म हो सकती है। किसी भी लालिमा, खुजली या सूजन की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है।