कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में अब कोरियन तकनीक से 155 एमएम तोप के गोले तैयार किए जाएंगे। इसके लिए ओएफसी में 100 करोड़ की लागत से आधुनिक शेल फोर्जिंग प्लांट बनाया जा रहा है। यह फैक्ट्री एडब्ल्यूईआईएल (एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड) के अंतर्गत आती है। हाल ही में एडब्ल्यूईआईएल ने अपने इंजीनियरों की एक टीम को कोरिया भेजा था, जहां उन्होंने नई तकनीकों और मशीनों का अध्ययन किया। रिपोर्ट के आधार पर अब कानपुर में इस अत्याधुनिक प्लांट के निर्माण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
यह नया प्लांट 155 एमएम के गोले तैयार करेगा, जो 45 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम होंगे। इससे पहले कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में 105 और 125 एमएम के गोले बनाए जाते थे, लेकिन आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अब बड़े कैलिबर के गोले भी यहीं तैयार किए जाएंगे। वर्तमान में भारतीय सेना और मिडिल ईस्ट के देशों से मिले रक्षा सौदों के तहत गोले तैयार किए जा रहे हैं। अभी तक भारतीय सेना और निर्यात के लिए नागपुर की अंबाझारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 155 एमएम के गोले मंगवाए जाते थे, लेकिन अब कानपुर में ही इनका निर्माण संभव होगा।
भारत में तैयार होने वाले 155 एमएम के गोले कई देशों को निर्यात किए जाते हैं। 2017 और 2019 में संयुक्त अरब अमीरात ने 40,000 और 50,000 गोले खरीदे थे, जिनकी कीमत लगभग 86 मिलियन डॉलर थी। फरवरी 2024 में सऊदी अरब ने रियाद डिफेंस एक्सपो के दौरान 225 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत भारत से 155 एमएम के गोले खरीदने का करार किया। इन गोलों का उपयोग हॉवित्जर तोपों में किया जाता है, जिनमें धनुष, पिनाक और विदेशी हॉवित्जर सिस्टम शामिल हैं।
नए प्लांट के निर्माण को रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है, और पिछले साल ही इसका बेसमेंट तैयार कर लिया गया था। ओएफसी के सीएमडी एके मौर्या के अनुसार, प्लांट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं, जिससे 155 एमएम के गोले कानपुर में ही निर्मित किए जा सकें। यह परियोजना भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ रक्षा निर्यात में भी भारत की स्थिति को मजबूत करेगी।