कानपुर न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक अजीब मामला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। 9 जुलाई को दो डॉक्टरों के एक साथ सीएमओ पद पर पहुंचने से असमंजस की स्थिति बन गई। एक ओर हाल ही में नियुक्त सीएमओ डॉ. उदयनाथ कार्यालय में पहले से मौजूद थे, वहीं दूसरी ओर पूर्व सीएमओ डॉ. हरीदत्त नेमी दोबारा अपना कार्यभार संभालने पहुंच गए। इस टकराव ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
इसी मुद्दे पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि इस सरकार में हर जगह झगड़े और अव्यवस्था फैली हुई है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि नेताजी ने यश भारती और अर्जुन पुरस्कारों के माध्यम से समाज को प्रेरणा देने वाले लोगों को सम्मानित किया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने वह परंपरा खत्म कर दी। अखिलेश ने भरोसा दिलाया कि सपा सरकार आने पर फिर से सम्मान की यह परंपरा बहाल की जाएगी।
मुंबई में हाल ही में हुए भाषा विवाद पर भी अखिलेश यादव ने टिप्पणी की। उन्होंने सुझाव दिया कि अयोध्या जैसे शहर में ऐसा केंद्र बने जहां उत्तर भारतीय भी मराठी भाषा सीख सकें। साथ ही उन्होंने बिहार के टार्जन का सम्मान करते हुए स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश दिया। पेड़ लगाने की सरकारी मुहिम पर कटाक्ष करते हुए सपा अध्यक्ष ने पूछा कि "200 करोड़ पेड़ लगाने के लिए सरकार जमीन कहां से लाएगी?" उन्होंने इस अभियान को एक दिखावा करार दिया।
इसके अलावा अखिलेश यादव ने महिलाओं द्वारा बनाए गए बांस के पुल को तोड़े जाने और अयोध्या के कंपोजिट विद्यालय में ताले लगे होने पर चिंता जताई। उन्होंने इसे शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता बताया। साथ ही, बिहार में वोटर वेरिफिकेशन को लेकर चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि "18 हजार वोटरों की सूची हमने सौंपी थी, लेकिन आयोग डेटा सुरक्षित नहीं रख पा रहा। क्या ये चूक है या साजिश?"