4 महीने बाद भी अधूरी नाला सफाई, बारिश से पहले फिर डूबने को तैयार है कानपुर
कानपुर में नाला सफाई का काम इस बार भी लापरवाही की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। मार्च में 236 बड़े नालों की सफाई के निर्देश जारी किए गए थे और 8.14 करोड़ रुपए भी इसके लिए आवंटित किए गए, लेकिन अब तक सफाई पूरी नहीं हो सकी है। पहले 30 मई की डेडलाइन दी गई, फिर इसे बढ़ाकर 15 जून किया गया, और अब नई तारीख 20 जून तय की गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि पहली ही बारिश ने नगर निगम के दावों की पोल खोल दी है।
नगर निगम का दावा है कि 180 नालों की सफाई पूरी हो चुकी है और बाकी बचे नालों का काम 20 जून तक खत्म कर लिया जाएगा। लेकिन जब दैनिक भास्कर की टीम ने शहर के 10 बड़े नालों की सफाई की हकीकत परखी तो कुछ और ही तस्वीर सामने आई। 3 नालों की सफाई तो की गई लेकिन सिल्ट वहीं बाहर छोड़ दी गई, 4 नालों में कूड़ा और गंदगी से ओवरफ्लो की स्थिति थी और बाकी बचे 3 नालों के आसपास सिल्ट और कूड़े के ढेर लगे मिले।
महापौर प्रमिला पांडेय और नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने नाला सफाई को लेकर कई बार मैराथन बैठकें कीं और साफ कहा कि लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन अब तक नतीजा शून्य ही नजर आ रहा है। प्रमुख नाले जैसे सीओडी और रफाका में हालात बेहद खराब हैं। सीओडी नाले में भीषण गंदगी है, जबकि रफाका नाले की हालत देखकर लगता है कि सफाई केवल कागज़ों में दर्ज की गई है। मछली बाजार की वजह से विजय नगर क्षेत्र में गंदगी ज्यादा है और अधिकारियों ने उसे हटाने के निर्देश भी दिए, लेकिन कार्रवाई अब तक अधूरी है।
सीसामऊ नाले के पास सफाई तो हो रही है, लेकिन निकाली गई सिल्ट लोगों के घरों के बाहर ऐसे पड़ी है कि चलना मुश्किल हो गया है। गंदगी के कारण लोगों का बाहर निकलना भी दूभर हो गया है और बीमारियां फैलने लगी हैं। वहीं सरसैया घाट नाले के पास हालत और खराब है, जहां कूड़े के ढेर लगे हैं और लोगों के मुताबिक वहां सफाई कर्मचारी कभी पहुंचे ही नहीं। अब सवाल ये है कि क्या 8 करोड़ की यह रकम भी हर साल की तरह सिर्फ बारिश के पानी में बह जाएगी?