कानपुर न्यूज डेस्क: देश और दुनिया में हार्ट संबंधित बीमारियों की तरह लिवर से जुड़ी समस्याओं में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, खासकर अनियमित जीवनशैली, तैलीय और मसालेदार खानपान के कारण। एक तरफ जहां एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के भी मामलों में तेजी आ रही है। आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. आशीष कौल और उनकी टीम ने इस पर शोध किया और पाया कि देश में हर चार में से एक व्यक्ति फैटी लिवर से ग्रस्त है।
फिलहाल फैटी लिवर के उपचार के लिए चिकित्सक मरीजों को डाइट और एक्सरसाइज के बारे में बताते हैं, लेकिन आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने इस समस्या का हल ढूंढ़ लिया है। डॉ. आशीष कौल और उनकी टीम ने फैटी लिवर के इलाज के लिए एक खास स्प्रे विकसित किया है, जिसे छह से आठ महीनों में प्रभावी परिणाम प्राप्त होने का दावा किया जा रहा है।
यह स्प्रे बनाने के लिए टीम ने सबसे पहले चूहों पर शोध किया। चूहों को मोटा किया गया और उनके लिवर में फाइब्रोसिस जमा किया गया, जो फैटी लिवर की समस्या का मुख्य कारण है। इसके बाद चूहों को एक्सरसाइज कराई गई और स्प्रे का प्रयोग किया गया। परिणामस्वरूप, चूहे तीन महीनों में पूरी तरह ठीक हो गए। इस शोध को एक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है और इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है।
अब आईसीएमआर द्वारा क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद, यह टीम महाराष्ट्र के वर्धा अस्पताल में इस स्प्रे का क्लिनिकल ट्रायल करेगी। इसमें दत्रा मैगे इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ भी सहयोग करेंगे। टीम का लक्ष्य जल्द ही इस स्प्रे को बाजार में उपलब्ध कराना है, ताकि आम लोग भी इसका लाभ उठा सकें।