कानपुर न्यूज डेस्क: आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (SIIC) द्वारा विकसित टेराएक्वा यूएवी सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने एक नया एप्लिकेशन लॉन्च किया है, जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इस एप्लिकेशन में नदियों के जलस्तर की जानकारी भी मिलेगी, जिससे बारिश के दौरान बाढ़ के खतरे का पहले से आकलन किया जा सकेगा। इस पहल में एनटीटी डेटा का भी सहयोग है, जो एक ग्लोबल डिजिटल आईटी सर्विस कंपनी है और इसे उनके सीएसआर प्रोग्राम के तहत समर्थन प्राप्त हुआ है।
यह फ्लड डिजास्टर रिस्पॉन्स सिस्टम वेब-जीआईएस (Web-GIS) प्लेटफॉर्म का उपयोग करता है, जिसमें ड्रोन सर्वे और सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग तकनीक शामिल है। इसके माध्यम से बाढ़ आने से पहले की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। यह तकनीक किसानों और फसलों के लिए भी लाभकारी साबित होगी, खासकर उन इलाकों में जहां बाढ़ का खतरा सबसे ज्यादा है। इस परियोजना का पायलट प्रोजेक्ट कानपुर के गंगा बैराज के पास 24 गांवों में लागू किया जाएगा, जो बाढ़ से प्रभावित होते हैं।
इस परियोजना के लॉन्च के दौरान यूपी सिंचाई विभाग और कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि यह सिस्टम बाढ़ आने से पहले की जानकारी जुटाने में सहायक साबित होगा। इससे न केवल सही आंकड़े प्राप्त होंगे, बल्कि टाउन प्लानिंग में भी मदद मिलेगी, जिससे जान-माल के नुकसान का अनुमान भी पहले से लगाया जा सकेगा। यह पहल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर योजनाएं और बचाव कार्यों को लागू करने में सहायक होगी।
कानपुर के कमिश्नर के. विजयेन्द्र पांडियन ने कहा कि इस परियोजना से इलाके को महत्वपूर्ण लाभ होगा। ड्रोन और सेटेलाइट तकनीक की मदद से बाढ़ आने से पहले तैयारियों को पुख्ता किया जा सकेगा, जिससे संभावित नुकसान से बचा जा सकेगा। SIIC के सीईओ अनुराग सिंह ने कहा कि वे ऐसे तकनीकी स्टार्टअप का समर्थन करते रहेंगे, जो समाज के विकास में योगदान दें। एनटीटी डेटा जैसे प्रमुख डेटा सहयोगियों के साथ यह साझेदारी समाज की भलाई के लिए महत्वपूर्ण होगी।