कानपुर न्यूज डेस्क: गुरुवार को कानपुर के कमिश्नर ऑफिस के बाहर कुछ खास नजारा देखने को मिला, जहां अचानक ढोल-नगाड़ों की गूंज से माहौल पूरी तरह बदल गया। पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बड़ी संख्या में ढोल बजाने वाले कलाकार पहुंचे थे, लेकिन ये कोई विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि पुलिस का धन्यवाद करने की एक अनोखी पहल थी।
रामनवमी के दौरान कानपुर पुलिस ने तय सीमा से अधिक आवाज़ में डीजे बजाने और कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई की थी। इसके बाद से डीजे का चलन कुछ कम हुआ और लोगों ने फिर से पारंपरिक संगीत जैसे ढोल-नगाड़ों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। इस बदलाव से पारंपरिक वाद्य कलाकारों का व्यवसाय दोबारा चल निकला है। उसी खुशी में ये कलाकार ढोल की थाप पर झूमते हुए पुलिस और प्रशासन का आभार जताने पहुंचे।
पुलिस अधिकारियों ने भी इस पहल को सकारात्मक रूप में लिया और कहा कि वे सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और जनहित को ध्यान में रखते हुए भी काम करते हैं। ढोल कलाकारों की यह भावनात्मक प्रतिक्रिया कानपुर की सांस्कृतिक विरासत को दोबारा जीवंत करने की दिशा में एक अहम संकेत मानी जा रही है।