कानपुर न्यूज डेस्क: मौसम में आई तेज सर्दी ने सांस के रोगियों की हालत बिगाड़ दी है। इन मरीजों में जटिलताएं बढ़ गई हैं, जिनमें सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीज ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पिछले कुछ दिनों में दो सीओपीडी मरीजों की मौत हो गई। उन्हें इलाज के लिए हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी सांसें थम गईं। इस दौरान ठंड के कारण उनकी स्थिति बिगड़ी और उनके फेफड़े पूरी तरह से प्रभावित हो गए।
सीओपीडी के मरीजों के साथ-साथ अन्य सांस रोगी भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, सर्दी के मौसम में ठंड से शरीर का संपर्क बढ़ने के कारण फेफड़ों की नसें सिकुड़ रही हैं, जिससे मरीजों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान कई मरीजों में निमोनिया जैसे संक्रमण भी उभर रहे हैं। डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
हैलट इमरजेंसी में एक सीओपीडी मरीज, राम अवतार (58), दामोदरनगर से लाया गया था, लेकिन उन्हें अस्पताल लाने से पहले ही उनकी सांसें रुक गईं। परिजनों ने बताया कि रात भर सांस लेने में तकलीफ रही थी। वहीं, बिधनू के नीरज (61) की भी मौत हो गई। वह पहले कल्याणपुर के निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थे, लेकिन फिर उन्हें निमोनिया हो गया, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई।
हैलट अस्पताल में रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. संजय वर्मा के मुताबिक, सांस तंत्र से संबंधित मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। सीनियर फिजीशियन डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को सर्दी के मौसम में और दिक्कतें हो रही हैं, जिनमें निमोनिया का खतरा भी बढ़ गया है।